Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 19 Apr, 2025 10:13 AM
भारत का थार रेगिस्तान जो अब तक गर्मी, सूखे और बंजर जमीन के लिए जाना जाता था, अब तेजी से हरियाली की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने उपग्रह चित्रों के माध्यम से पाया कि थार का रंग अब भूरा नहीं बल्कि हरा होता जा रहा है
नेशनल डेस्क: भारत का थार रेगिस्तान जो अब तक गर्मी, सूखे और बंजर जमीन के लिए जाना जाता था, अब तेजी से हरियाली की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने उपग्रह चित्रों के माध्यम से पाया कि थार का रंग अब भूरा नहीं बल्कि हरा होता जा रहा है। यह बदलाव जितना आकर्षक है, उतना ही चौंकाने वाला भी। एक नई रिपोर्ट जो 'सेल रिपोर्ट सस्टेनेबिलिटी' में प्रकाशित हुई है, उसके अनुसार थार रेगिस्तान में वनस्पति कवर में 38% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह अध्ययन साल 2001 से 2023 तक की उपग्रह तस्वीरों के आधार पर किया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह हरा परिवर्तन अचानक नहीं हुआ बल्कि पिछले दो दशकों में धीरे-धीरे हुआ है।
बारिश और बदलाव के कारण
इस अप्रत्याशित हरियाली के पीछे कई कारण हैं—
-
जलवायु परिवर्तन
-
मानसून की बारिश में 64% तक की बढ़ोतरी
-
मानव गतिविधियों में वृद्धि
-
कृषि का विस्तार और शहरीकरण
रेगिस्तान नहीं रहा पहले जैसा
थार रेगिस्तान उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान के बीच फैला है और करीब 2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यहां 1.6 करोड़ लोग रहते हैं, जो इसे दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला रेगिस्तान बनाता है।
क्या खेती के लिए है अच्छी खबर?
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर के प्रोफेसर और इस रिपोर्ट के सह-लेखक विमल मिश्रा के अनुसार— “थार में अब पानी और ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ गई है, जिससे कृषि और शहरों का विस्तार हुआ है। फसल उत्पादन में भी जबरदस्त उछाल आया है।”
भूजल सतह पर आ गया
अध्ययन में यह भी पाया गया कि मिट्टी की नमी बढ़ गई है और भूजल अब सतह के करीब आ गया है। इससे खेती करना और आसान हो गया है। लेकिन यह हरियाली पूरी तरह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि मानव-निर्मित हस्तक्षेप की भी बड़ी भूमिका है।
हरियाली में छिपा है खतरा?
हालांकि यह परिवर्तन देखने में सुखद लगता है लेकिन वैज्ञानिकों ने इसके दीर्घकालिक खतरों को लेकर चेतावनी दी है। उनके मुताबिक:
-
अधिक वनस्पति से देशी जैव विविधता को खतरा हो सकता है
-
अत्यधिक भूजल उपयोग से भविष्य में पानी की किल्लत हो सकती है
-
तेज गर्मी और जनसंख्या वृद्धि से स्थानीय पारिस्थितिकी असंतुलित हो सकती है