गुजरात हाई कोर्ट का अहम फैसला, 'मैं तुझे देख लूंगा' कहना धमकी नहीं

Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Feb, 2019 02:56 PM

say i will see you not threaten gujarat high court

जब दो लोगों के बीच झगड़ा होता है तो अक्सर यह सुनने को मिलता है कि ''मैं तुझे देख लूंगा'', इस शब्द को हमेशा एक धमकी के तौर पर माना जाता है। लेकिन अब यह कहना अपराध नहीं होगा।

अहमदाबाद: जब दो लोगों के बीच झगड़ा होता है तो अक्सर यह सुनने को मिलता है कि 'मैं तुझे देख लूंगा', इस शब्द को हमेशा एक धमकी के तौर पर माना जाता है। लेकिन अब यह कहना अपराध नहीं होगा। गुजरात हाई कोर्ट ने इस वाक्य को आपराधिक धमकी मानने से इंकार कर दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने एक वकील के खिलाफ दर्ज एफआईआर को अमान्य घोषित करते हुए फैसला यह सुनाया। साबरकंठा जिले के वकील मोहम्मद मोहसिन छालोतिया ने साल 2017 में एक पुलिस कर्मी को 'देख लेने और कोर्ट में घसीटने की धमकी दी थी।वकील को धमकी देने के जुर्म में जेल की सजा हुई। वकील ने पुलिस की एफआईआर के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ए. एस. सुपेहिया ने कहा कि मैं तुझे देख लूंगा, धमकी नहीं है। जज ने कहा कि धमकी वह होती है जिसमें पीड़ित के दिमाग में किसी बात को लेकर डर पैदा हो। जस्टिस सुपेहिया ने कहा कि इस मामले में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, इसलिए इसे आपराधिक धमकी नहीं समझा जा सकता। कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए वकील के खिलाफ एफआईआर रद्द कर दी। वकील मोहसिन 2017 में जेल में बंद अपने एक मुवक्किल से मिलने गए थे। इस दौरान पुलिस ने उनको मुवक्किल से मिलाने से इंकार कर दिया। इसी बात को लेकर पुलिस और वकील के बीच तीखी बहस हुई। गुस्समें वकील ने पुलिस अधिकारी को देख लेने और कोर्ट में घसीटने की धमकी दी। पुलिस अधिकारी ने ड्यूटी पर धमकी देने और काम करने से रोकने का मामला वकील के खिलाफ दर्ज कर लिया।

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