Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Jul, 2018 04:03 PM
दिल्ली में बने कूड़े के पहाड़ के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और उपराज्यपाल को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद कूड़ा कम नहीं हो रहा और न ही इससे निपटने का अभी तक कोई समाधान हुआ है।
नई दिल्लीः दिल्ली में बने कूड़े के पहाड़ के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और उपराज्यपाल को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद कूड़ा कम नहीं हो रहा और न ही इससे निपटने का अभी तक कोई समाधान हुआ है। कोर्ट ने सबसे ज्यादा नाराजगी उपराज्यपाल अनिल बैजल से जताई है। कोर्ट ने उपराज्यपाल से इस मुद्दे पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी। कोर्ट ने उपराज्यपाल के कार्यालय को 16 जुलाई तक हलफनामा देकर ठोस कूड़ा प्रबंधन पर उठाए जाने वाले कदमों की समयसीमा बताने को कहा है।
कोर्ट ने ये कहा
- कितने दिन में 3 लैंडफिल साइट से कूड़ा हटेगा। हमें इससे नहीं मतलब की आप बैठकों में चाय-कॉफी पीते हुए क्या कर रहे हैं।
- आप 25 बैठकें करते या 50 कप चाय पीते हैं इससे हमें कोई मतलब नहीं है। दिल्ली को कूड़े से निजात दिलाने पर बात करें।
- उपराज्यपाल कहते हैं कि मेरे पास पावर है, मैं सुरमैन हूं तो बैठकों में क्यों नहीं शामिल होते हैं?
- एलजी और दिल्ली सरकार दोनों मान रहे हैं कि उनकी जिम्मेदारी है कूड़ा हटवाना और अगर नहीं होता तो केंद्र उसमें निर्देश देगा। क्या केंद्र ने निर्देश दिए?
- कूड़े के पहाड़ का एक हिस्सा गिरने से आदमी की मौत हो जाती है और आप इसको लेकर अभी भी गंभीर नहीं
- एलजी के ऑफिस से कोई बैठक तक में नहीं आता और ये कहते हैं कि हमारे पास अधिकार हैं।
- हर मामले में मुख्यमंत्री को मत घसीटिए, बस अंग्रेजी की एक लाइन में बताइए कि कूड़े के जो पहाड़ खड़े हैं वो कब हटेंगे।
- केंद्र इस मुद्दे पर एक टाइमलाइन बताए कि कब कूड़े पर हल निकाला जाएगा।
- क्या एमसीडी पर एलजी का कोई अधिकार नहीं है? इसका मतलब एलजी की कोई जिम्मेदारी नहीं है?
वहीं एलजी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि उपराज्यपाल का काम निर्देश देना होता है जो कि कई बार दिया गया। लेकिन कोर्ट उपराज्यपाल के इस बयान से संतुष्ट नहीं हुआ।