Edited By ,Updated: 13 Oct, 2015 02:49 PM
उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के गुजरात के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट की वह याचिका आज खारिज कर दी
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के गुजरात के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट की वह याचिका आज खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दायर दो प्राथमिकियों की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का अनुरोध किया था। मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह एवं एस गुरुमूर्ति को पक्षकार बनाने का याचिकाकर्ता का अनुरोध भी ठुकरा दिया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी के खिलाफ दायर दोनों प्राथमिकियों की सुनवाई पर लगी रोक हटात हुए मुकदमा जारी रखने का रास्ता भी साफ कर दिया।
संजीव भट्ट ने अपनी याचिका में वर्तमान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एवं गुजरात सरकार के तत्कालीन अतिरिक्त एडवोकेट जनरल तुषार मेहता पर जांच को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया था तथा इसकी जांच एसआईटी से कराने का अनुरोध किया था। भट्ट के खिलाफ दो नामजद प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। पहले मामले में उन पर गुजरात दंगों की जांच कर रहे आयोग के समक्ष गवाही के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है, जबकि दूसरे मामले में उन पर मेहता का ईमेल हैक करने का आरोप है। पूर्व आईपीएस अधिकारी की दलील थी कि गुजरात के तत्कालीन मुयमंत्री (अब प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी के इशारे पर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे, ताकि उन्हें और 2002 के दंगों के अन्य गवाहों पर दबाव बनाया जा सके।
भट्ट ने हाल ही में एक नयी याचिका दायर करके शाह एवं गुरुमूर्ति को पक्षकार बनाने का अनुरोध किया था। उन्होंने अपने खिलाफ दोनों प्राथमिकियों के सिलसिले में एसआईटी से जांच कराने का आग्रह किया था। उनका कहना था कि अब केंद्र में परिस्थितियां और सरकार बदल गई हैं, इसलिए अब उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरों (सीबीआई) जांच पर भरोसा नहीं रहा। वर्ष 2011 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने भट्ट के दावों की सीबीआई जांच के लिए नोटिस भी जारी किया था।