Edited By ,Updated: 15 Apr, 2016 01:06 PM
शहर के मांडवी इलाके में एक कमरे और रसोई के मकान में अपने दिव्यांग पति मयूरभाई और बेटे पार्थ के साथ गुजारा कर रही शकुंतलाबेन अपने बढ़ते शरीर और वजन की असहनीय तकलीफ पिछले 10 सालों से झेल रही है।
वडोदरा: शहर के मांडवी इलाके में एक कमरे और रसोई के मकान में अपने दिव्यांग पति मयूरभाई और बेटे पार्थ के साथ गुजारा कर रही शकुंतलाबेन अपने बढ़ते शरीर और वजन की असहनीय तकलीफ पिछले 10 सालों से झेल रही है। शकुंतलाबेन ने मोदी सरकार से इच्छामृत्यु मांगी थी। इसके बाद सरकार ने सुझाव दिया कि वह अपना ऑपरेशन वडोदरा के सयाजी अस्पताल में करवा लें, लेकिन वहां उक्त ऑपरेशन की सुविधा ही नहीं है। अब दो गुप्त दानदाताओं की बदौलत उनका ऑपरेशन एक निजी अस्पताल में होने जा रहा है। शकुंलता बेन ने बताया कि यह तकलीफ असहनीय है।
सरकार से मदद मांगी लेकिन कुछ नहीं हुआ। वहीं अब तीन गुप्त दानदाताओं ने शकुंलता की तकलीफ समझी और उसकी सहायता के लिए आगे आए। दानदाताओं की इस पहल को देखते हुए डॉक्टर ने भी अपनी फीस आधी कर दी है। शकुंलता ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि ऑपरेशन के बाद वे भी सामान्य महिला की तरह हो जाएंगी। शकुंतला बेन का ऑपरेशन करने वाले डॉ. शैलेष परीख ने बताया कि उनका ऑपरेशन पूरे तीन घंटे तक चलेगा। अभी उनका वजन 200 किलो है, जो बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद धीरे-धीरे कम होता जाएगा।
बेरियाट्रिक सर्जरी में अमाशय की बड़ी आंतों को छोटा किया जाता है। सर्जरी के बाद हर माह करीब 6 से 7 किलो वजन घटना शुरू हो जाता है। शकुंतलाबेन ने बताया कि जब वह 5 साल की थी, तब उन्हें बुखार हुआ था। तब उनके पिता जी उन्हें एक डॉक्टर के पास ले गए। ड़क्टर शराब पी रखी थी और नशे में उसने नस में ही इंजेक्शन लगा दिया जिससे उनके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया। सूरत के अस्पताल में इलाज करवाने पर ठीक हो गई। शकुंतला बी.कॉम पास है। 2000 में उनकी शादी हुई और उसके बाद 2006 में उसका वजन बढ़ना शुरू हो गया। तब से वह इस तकलीफ में जी रही है।