Edited By vasudha,Updated: 16 Aug, 2018 04:38 PM
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को शिवसेना ने महज ‘‘आंकड़ों, घोषणाओं और योजनाओं की आतिशबाजी’’ करार दिया और रुपये के कमजोर होने के लिये उनकी आलोचना की...
नेशनल डेस्क: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को शिवसेना ने महज ‘‘आंकड़ों, घोषणाओं और योजनाओं की आतिशबाजी’’ करार दिया और रुपये के कमजोर होने के लिये उनकी आलोचना की। शिवसेना ने आज दावा किया कि मोदी ने जहां अपनी सरकार के विकास प्रमाण पत्रों पर जोर दिया वहीं उन्होंने भारतीय रुपये की गिरावट को नजरअंदाज किया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
रुपए की गिरावट को लेकर साधा निशाना
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि प्रधानमंत्री का भाषण सिर्फ आंकड़ों, घोषणाओं और योजनाओं की आतिशबाजी था और इसी उद्देश्य के लिये लाल किले का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस के शासन में विकास थम गया। हालांकि रुपया जरूर आज ऐतिहासिक निम्न स्तर को छू गया। जब एक डॉलर 70 रुपये के बराबर हो जाये तो यह अच्छी अर्थव्यवस्था और विकास का संकेत नहीं है।
पीएम की ‘भगवा’ पगड़ी पर उठाए सवाल
‘सामना’ में लिखा कि प्रधानमंत्री ने एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी का हवाला देकर कहा कि पांच करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। उन्हे इस संगठन का नाम बताना चाहिए और यह भी खुलासा करना चाहिए कि ये पांच करोड़ भारतीय कहां हैं। पार्टी ने कहा कि मोदी ने कल स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान ‘‘भगवा’’ पगड़ी पहनी। उन्होंने दावा किया कि यह महज वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू मतदाताओं तक पहुंचने की मुहिम है। शिवसेना ने पूछा कि क्या भगवा पगड़ी पहनने से हिंदुत्व के सवाल का समाधान हो जायेगा? उसने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण, समान नागरिक संहिता, अनुच्छेद 370 और कश्मीरी पंडितों के भविष्य पर जानकारी मांगी।
संपादकीय में कहा गया कि मोदी ने लाल किले से अपने पहले के भाषणों में कहा था कि भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के संकटग्रस्त गिलगिट-बाल्टीस्तान इलाकों में दखल दे सकती है। लेकिन सीमा पार हो रही गोलीबारी में भारतीय ओर से कई जवान शहीद हुए हैं। शिवसेना ने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री एक तरफ कर भुगतान करने के लिये नागरिकों की प्रशंसा करते हैं तो दूसरी ओर भगोड़े नीरव मोदी जैसे हीरा कारोबारी उन्हीं करदाताओं का पैसा लूटते हैं और देश से फरार हो जाते हैं।