सोमनाथ चटर्जी ने मुश्किलों से नहीं मानी कभी हार, जानिए कैसा रहा राजनीतिक सफर

Edited By vasudha,Updated: 13 Aug, 2018 01:43 PM

somnath chatterjee never gave up with difficulties

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का निधन हो गया। 89 साल के पूर्व कम्युनिस्ट नेता ने सोमवार सुबह कोलकाता के एक निजी अस्पताल में आखिर सांस ली। सोमनाथ ने राजनीति और पार्टी से ऊपर उठ कर काम किया...

नेशनल डेस्क: लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का निधन हो गया। 89 साल के पूर्व कम्युनिस्ट नेता ने सोमवार सुबह कोलकाता के एक निजी अस्पताल में आखिर सांस ली। सोमनाथ ने राजनीति और पार्टी से ऊपर उठ कर काम किया। वह अपने उसूलों पर चले जिस कारण उन्हे पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया हालांकि इसके बाद भी वह कभी झुके नहीं। आईए जानते हैं राजनीति के दिग्गज नेता सोमनाथ के बारे में कुछ अहम बातें:-
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सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था। उनके पिता निर्मल चंद्र चटर्जी अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थाकों में से एक थे और पेशे से वकील थे। चटर्जी ने कोलकाता और ब्रिटेन में पढ़ाई की। लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद वाद उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की हालांकि इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया। सोमनाथ चटर्जी ने सीपीएम के साथ राजनीतिक करियर की शुरुआत 1968 में की और 2008 तक इस पार्टी से जुड़े रहे। 1971 में वह पहली बार सांसद चुने गए और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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चटर्जी 10 बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-1 सरकार में वह 2004 से 2009 के बीच लोकसभा के अध्यक्ष रहे थे। हालांकि, 1984 में जादवपुर में ममता बनर्जी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।  उन्होंने लगभग 35 सालों तक एक सांसद के रूप में देश की सेवा की। इसके लिए उन्हें साल 1996 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से नवाजा गया। 

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चटर्जी के राजनीति जीवन में उस समय मोड़ आया जब यूपीए-1 शासनकाल में उनकी पार्टी सीपीएम की ओर से सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद उनसे स्पीकर पद छोड़ने को कहा गया लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। जिस कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। जिसके बाद सोमनाथ ने कहा था कि यह उनके लिए 'सबसे दुखी दिन' था। उन्होंने सलाह दी कि भविष्य के स्पीकर अपने दल से इस्तीफा देकर पद पर आसीन हों। चैटर्जी ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में लोकसभा के शून्य काल का लाइव प्रसारण शुरु कराया। साल 2006 में लोकसभा का प्रसारण 24 घंटे के लिए किया जाने लगा। 

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4 जून, 2004 को 14वीं लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटजी का सर्वसम्मति से निर्वाचन सदन में एक इतिहास रच गया। इस लोकसभा के 17 अन्य दलों ने भी उनका नाम प्रस्तावित किया जिसका समर्थन अन्य दलों के नेताओं द्वारा किया गया। इसके बाद वह निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 22 जुलाई 2008 को विश्वास मत के दौरान किए गए सभा के संचालन के लिए उनको देश के विभिन्न वर्गों के नागरिकों तथा विदेशों से काफी सराहना मिली। उन्होंने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद पर चुनाव से पहले ही कहा था कि भारत को सबसे योग्य राष्ट्रपति मिलने जा रहा है।
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सोमनाथ चटर्जी का आदर सभी पार्टियों में था। उन्होंने चटर्जी ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता को लेकर सीपीएम को आगाह किया था और आख़िरकार ममता ने 2011 में सीपीएम को सत्ता से उखाड़ फेंका। चटर्जी ने प्रकाश करात के नेतृत्व वाली सीपीएम की भी आलोचना की थी। साल 2009 में दिग्गज नेता ने राजनीति से सन्यास ले लिया। माकपा के दिग्गज नेता ज्योति बसु के साथ उनका गहरा संबंध था। बसु ने उन्हें पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यू बीआईसी) का अध्यक्ष बनाया था। उन पर राज्य में निवेश लाने और नये उपक्रम की शुरुआत करने की जिम्मेदारी थी। उनके परिवार में पत्नी रेणु चटर्जी, एक बेटा और दो बेटियां हैं।

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