Edited By Monika Jamwal,Updated: 29 Apr, 2020 09:08 AM
इंसान अपनी पीड़ा बोलकर और अन्य माध्यमों से बयां कर सकता है, लेकिन बेजुबान जानवर बोल नहीं सकते है. इन दिनों लॉक डाउन के चक्कर में बेजुबान जानवर भूख से बेहाल हैं, क्योंकि जानलेवा वायरस कोरोना इनके लिए भी आफत बन कर आया है।
साम्बा : इंसान अपनी पीड़ा बोलकर और अन्य माध्यमों से बयां कर सकता है, लेकिन बेजुबान जानवर बोल नहीं सकते है. इन दिनों लॉक डाउन के चक्कर में बेजुबान जानवर भूख से बेहाल हैं, क्योंकि जानलेवा वायरस कोरोना इनके लिए भी आफत बन कर आया है। सडक़ों पर इन आवारा गाय, बैल व कुत्तों आदि बेजुबान जानवरों को पेट भरने के लाले पड़ रहे हैं। घरों में कैद लोगों का इनकी ओर ध्यान नहीं जाता। विपदा की इस घड़ी में इंसानों की भोजन की व्यवस्था तो कई जगहों पर की गई है, लेकिन लावारिस जानवरों का पेट भरने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
लॉकडाउन से पहले इन जानवरों को सडक़ों पर या दुकानों के बाहर खाने को कुछ न कुछ मिल जाता था जिससे यह अपनी भूख मिटा लेते थे लॉकडाउन से इनके निवालों पर भी संकट आगया है। कोरोना के कहर को कम करने के लिए लागू लॉकडाउन के काण इंसान तो किसी तरह अपनी भूख मिटा पा रहा है लेकिन आवारा जानवरों की बहुत मुसीबत हो गई है। हाइवे व अन्य मार्गों पर लोगों का आनाजाना नहीं होने के कारण बाजारों में घूमने वाले आवारा जानवरों का खान-पान भी ठप है। यह आवारा जानवर अब पेट भरने के लिए घूमते फिर रहे हैं। हालांकि कई स्थानों पर कुछ लोग इन जानवरों के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन अधिकांश जानवर पेट भरने के लिए भटकते देखे जा सकते हैं।