SC ने मीडिया से बात करने पर असम NRC समन्वयक को लगाई कड़ी फटकार

Edited By Anil dev,Updated: 07 Aug, 2018 04:59 PM

supreme court national citizen register assam

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मामले में बयान जारी करने पर आज असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर समन्वयक और भारत के महापंजी को फटकार लगाई और कहा कि वह उन्हें अवमानना के लिये जेल भेज सकते थे।  साथ ही न्यायालय ने उन्हें भविष्य में शीर्ष अदालत...

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मामले में बयान जारी करने पर आज असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर समन्वयक और भारत के महापंजी को फटकार लगाई और कहा कि वह उन्हें अवमानना के लिये जेल भेज सकते थे।  साथ ही न्यायालय ने उन्हें भविष्य में शीर्ष अदालत की मंजूरी के बगैर मीडिया से बात नहीं करने की हिदायत दी। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के समन्वयक प्रतीक हजेला और भारत के महापंजी शैलेष द्वारा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे में छूट गये नामों के संबंध में दावों और आपत्तियों के निबटान के मसले पर मीडिया को बयान देने को ‘‘बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। 

न्यायमूर्ति गोगोई ने की घटनाक्रम पर नाराजगी व्यक्त
न्यायमूर्ति गोगोई ने इस घटनाक्रम पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दोनों अधिकारियों से कहा, ‘‘क्या इस मामले में होने वाले दावों और आपत्तियों से आपका किसी भी प्रकार का कोई सरोकार है..आपने समाचार पत्रों में जो कहा है, आप हमे बताएं कि आपका इससे क्या सरोकार है।’’ उन्होंने अधिकारियों से न्यायालय में ही समाचार पत्र पढऩे के लिये कहा। पीठ ने कहा, ‘‘यह मत भूलिए, आप न्यायालय के अधिकारी हैं। आपका काम हमारे निर्देशों का पालन करना है। आप इस तरह से प्रेस में कैसे जा सकते हैं।’’ पीठ ने कहा कि आप दोनों को जेल भेजा जा सकता था।      पीठ ने दोनों अधिकारियों के अधिकारों पर सवाल उठाते हुये उन्हें फटकार लगायी और भविष्य में इस मसले पर मीडिया से बात नहीं करने की हिदायत दी। पीठ ने कहा कि उसने केन्द्र सरकार से कहा था कि वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे से बाहर रह गये नामों के संबंध में दावों और आपत्तियों से निबटने के लिये एक मानक प्रक्रिया तैयार करें लेकिन इन अधिकारियों ने इसके तरीके पर बयान दिये जो पूरी तरह से उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। 

16 अगस्त को किया जाएगा इस मामलें पर विचार
पीठ ने कहा, ‘‘हमें आप दोनों को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराना चाहिए और आप दोनों को जेल भेज देना चाहिए। आपने जो कुछ भी कहा वह हमारे बारे में दर्शाता है।’’ पीठ ने कहा कि वह इस मामले में अधिक कड़ा रूख अपना सकती थी परंतु असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के अंतिम प्रकाशन की तैयारियों के भावी काम को ध्यान में रखते हुए उन्हें बख्श रही है। पीठ ने कहा, ‘‘आपका काम किसी का ब्रीफ लेकर प्रेस में जाना नहीं है।’’ इस मामले में अब 16 अगस्त को आगे विचार किया जाएगा। हजेला ने पीठ को सूचित किया कि उन्होंने भारत के महापंजी से परामर्श किया था और शिकायतों के समाधान के बारे में आशंकायें दूर करने के लिये मीडिया से बात की थी। दोनों अधिकारियों ने अपने इस कृत्यु के लिये पीठ से बिना शर्त क्षमा याचना कर ली।  

मसौदे से बाहर किए गए थे 40 लाख लोग
शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई को कहा था कि इस नागरिक रजिस्टर के मसौदे से बाहर रह गए 40 लाख से अधिक व्यक्तियों के खिलाफ प्राधिकारियों द्वारा कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। न्यायालय ने कहा था कि यह तो अभी सिर्फ मसौदा ही है। नागरिक रजिस्टर की रिपोर्ट के अनुसार 3.29 करोड़ लोगों में से प्रकाशित मसौदे में 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि सूची में 40,70,707 लोगों के नाम शामिल हैं। इनमें से 37,59,630 नाम अस्वीकार कर दिए गए हैं और शेष 2,48,077 अभी विलंबित रखे गए हैं। हजेला ने न्यायालय को सूचित किया था कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में नाम शामिल करने और निकालने के बारे में 30 अगस्त से 28 सितंबर के बीच दावे और आपत्तियां की जा सकती हैं। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!