महिला IAS अधिकारी दो दशक पहले अदालत का आदेश लेकर गई थीं सबरीमला

Edited By Anil dev,Updated: 30 Sep, 2018 05:22 PM

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उच्चतम न्यायालय द्वारा सबरीमला में भगवान अय्यप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने से करीब दो दशक पहले एक महिला आईएएस अधिकारी विभिन्न धमकियों की परवाह न करते हुए उच्च न्यायालय से आदेश लेकर मंदिर गई थीं।

तिरुवनंतपुरम: उच्चतम न्यायालय द्वारा सबरीमला में भगवान अय्यप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने से करीब दो दशक पहले एक महिला आईएएस अधिकारी विभिन्न धमकियों की परवाह न करते हुए उच्च न्यायालय से आदेश लेकर मंदिर गई थीं।  रूढि़वादी लोगों की धमकियों और दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद पत्तनमतिट्टा जिले की तत्कालीन जिलाधीश के बी वलसला कुमारी 41 साल की उम्र में 1994-95 के दौरान कम से कम चार बार मंदिर गई थीं। वह उच्च न्यायालय के विशेष आदेश के साथ अपनी आधिकारिक ड्यूटी के तौर पर मंदिर गई थीं। चूंकि तब भी 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी तो केरल उच्च न्यायालय ने श्रद्धालुओं के सालाना सत्र की तैयारियों के तौर पर विभिन्न एजेंसियों की गतिविधियों से समन्वय करने के लिए कुमारी को मंदिर जाने की अनुमति दी थी।           

तीर्थयात्रा से संबंधित नहीं होगा मंदिर का दौरा 
बहरहाल, तब अदालत ने कहा था कि मंदिर का उनका दौरा तीर्थयात्रा से संबंधित नहीं होगा और यह जिलाधीश होने के नाते उनकी आधिकारिक ड्यूटी से संबंधित रहेगा। महिला अधिकारी को मंदिर के पवित्र स्थल की ओर जाने वाली सोने की 18 सीढिय़ों पर न चढऩे के लिए भी कहा गया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस उम्र में सबरीमला जा सकी, उसके लिए उच्च न्यायालय के आदेश का आभार। अब उच्चतम न्यायालय ने सभी आयु वर्ष की महिलाओं के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। यह फैसला सच में अच्छा है।’’ भगवान अय्यप्पा की भक्त कुमारी कानूनी आदेश के साथ सबरीमला जाने वाले पहली महिला थीं। 

पूर्व नौकरशाह ने किया उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत
कुमारी अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि वह 50 साल की उम्र के बाद पवित्र सीढिय़ों पर चढ़ी थीं और उन्होंने भगवान अय्यप्पा के दर्शन किए थे। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं अदालत के आदेश के साथ सबरीमला पहुंची थी तो मुझे भगवान अय्यप्पा की मूर्ति के पास जाने और उन्हें देखने की अनुमति नहीं थी लेकिन मैंने पवित्र सीढिय़ों से कुछ दूर खड़े होकर हाथ जोड़कर प्रार्थना की थी।’’ पूर्व नौकरशाह ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जिस भी व्यक्ति का तन-मन शुद्ध है, वह मंदिर जा सकता है। सबरीमला की यात्रा के दौरान उन्हें वहां और मंदिर परिसरों में साफ-सफाई तथा कचरे की समस्या के बारे में पता चला था। सबरीमला पर्वत के कमजोर पारिस्थितिकी तंत्र को देखते हुए अधिकारी ने तब क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल शौचालय बनाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने पर्वत के नीचे बहने वाली पंबा नदी को साफ करने की पहल की थी और सबरीमला में साफ पेयजल उपलब्ध कराया था। 

उच्चतम न्यायालय ने हटा दी महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गत शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में केरल के सबरीमला स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटा दी और मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति प्रदान कर दी। न्यायालय ने कहा कि एक आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने वाली सदियों पुरानी यह हिन्दू परंपरा गैरकानूनी और असंवैधानिक है।     

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