केवल कठोर कानून से नहीं रुकेगा आतंकवाद : कांग्रेस

Edited By shukdev,Updated: 23 Jul, 2019 10:24 PM

terrorism will not stop from harsh law

सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि उसकी रणनीति के कारण देश में आतंकवाद और उग्रवाद की घटनाओं में कमी आई है तथा इस दिशा में उसकी नीति ‘जीरो टॉलरेंस'' की है, वहीं कांग्रेस ने कहा कि केवल कठोर कानूनों से नहीं ...

नई दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि उसकी रणनीति के कारण देश में आतंकवाद और उग्रवाद की घटनाओं में कमी आई है तथा इस दिशा में उसकी नीति ‘जीरो टॉलरेंस' की है, वहीं कांग्रेस ने कहा कि केवल कठोर कानूनों से नहीं बल्कि राजनीतिक पहल से आतंकवाद को समाप्त किया जा सकता है। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने ‘विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक, 2019' (यूएपीए संशोधन विधेयक) को सदन में चर्चा और पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सरकार की ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने की' नीति है और इसके लिए सुरक्षा बलों को भी स्वतंत्रता दी गई है। 

उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल के आंकड़े देखें तो मोदी सरकार के आने के बाद देश में आतंकवाद और उग्रवाद के मामलों में कमी आई है। नक्सलवाद भी केवल 60 जिलों तक सीमित रह गया है। रेड्डी ने कहा कि उक्त कानून में सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को आतंकवादी संगठनों की संपत्ति की कुर्की का अधिकार देने के लिए संशोधन लेकर आई है। विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि कश्मीर, पंजाब और अन्य राज्यों में आतंकवाद और उग्रवाद के उदाहरण देख लें तो ‘कठोर कानूनों से नहीं बल्कि राजनीतिक पहलों से' ही समाधान निकले हैं। उन्होंने कहा,‘देश में यह बड़ा दुष्प्रचार किया जा रहा है कि कठोर कानून ही हर समस्या का समाधान है। यह बात तथ्यों से परे है।'

तिवारी ने टाडा और पोटा कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि इनके भी दुरुपयोग के मामले सामने आए और इनके लागू होने के बाद भी देश में आतंकी हमलों की बड़ी घटनाएं हुई हैं। बाद में इन्हें समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि दोनों ही कानूनों के तहत दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की दर बहुत कम रही। तिवारी ने यह भी कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों सदन में कहा था कि पोटा को राजनीतिक कारणों से समाप्त किया गया। उन्होंने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि 2003 में राजग सरकार के समय पोटा के दुरुपयोग की बात कही गई थी और एक समीक्षा समिति बनाई गई थी। 

राजग सरकार ने समिति की सिफारिशों को अध्यादेश के माध्यम से लागू किया और इसे राजग के तत्कालीन कुछ घटक दलों की मांगों के बाद समाप्त किया गया था। तिवारी ने कहा कि यूएपीए संशोधन विधेयक, 2019 में एनआईए को संपत्ति जब्त करने का अधिकार दिया गया है। इसका भी दुरुपयोग हो सकता है। ऐसे पहले के भी सैकड़ों उदाहरण हैं। विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 में कहा गया है कि एनआईए के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की का तब अनुमोदन मंजूर करने के लिए सशक्त बनाना है जब मामले की जांच उक्त एजेंसी द्वारा की जाती है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित चौथी अनुसूची से किसी आतंकवादी विशेष का नाम जोड़ने या हटाने के लिए और उससे संबंधित अन्य परिणामिक संशोधनों के लिये सशक्त बनाने हेतु अधिनियम की धारा 35 का संशोधन करना है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निरीक्षक के दर्जे के किसी अधिकारी को अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन अपराधों का अन्वेषण करने के लिए सशक्त बनाया गया है। 

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