कोरोना महामारी के दौरान आई शिक्षा में गिरावट, स्कूल बंद रहने के कारण वर्णमाला तक भूल गए बच्चे

Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Mar, 2022 01:05 PM

the decline in education during the corona epidemic

कोविड महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों की पढ़ने-लिखने की क्षमता में बेहद गिरावट आई है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक 70 से 80 फीसदी पैरेंट्स ने माना कि महामारी के दौरान उनके बच्चों की पढ़ने और लिखने की क्षमता पर असर पड़ा है।

एजुकेशन डेस्क: कोविड महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों की पढ़ने-लिखने की क्षमता में बेहद गिरावट आई है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक 70 से 80 फीसदी पैरेंट्स ने माना कि महामारी के दौरान उनके बच्चों की पढ़ने और लिखने की क्षमता पर असर पड़ा है। यह सर्वेक्षण अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच किया गया, जिसमें 500 परिवारों को शामिल किया गया। ये सभी परिवार निम्न आय वर्ग से संबंध रखते थे। इनका कहना है कि बच्चे वर्णमाला भूल गए हैं और साथ ही सीखने की क्षमता भी कम हो गई है।

सर्वे में यह बात सामने आई है कि ये बच्चे अपनी परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं। 3 राज्यों में किया गया सर्वेक्षण यह सर्वेक्षण दक्षिण के 3 राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में हुआ, जिसे नेशनल कोलेशन ऑफ एजुकेशन इमरजेंसी ने कराया है। अध्ययन में यह कहा गया है कि जिन घरों में स्कूल से अलग भाषा बोली जाती है, उन घरों के बच्चों पर ज्यादा असर पड़ा है। ऐसे में इन बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर इन्हें दो ग्रेड आगे किया जाता है तो इनके सामने मुश्किल पैदा होगी। वहीं पैरेंट्स का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों की आदतों में काफी बदलाव आया है। कई माता-पिता ने यह ध्यान दिया है कि उनके छोटे बच्चों ने स्वच्छता पर भी ध्यान देना छोड़ दिया है।

निजी स्कूलों की स्थिति ज्यादा खराब बच्चों में ध्यान की कमी, मोबाइल फोन की लत, अनुशासन की कमी, पढ़ाई-लिखाई में मन न लगना, टीवी देखने की आदत, मानसिक तनाव, खाने की आदतों में बदलाव और अकेलापन जैसी समस्या देखी जा रही है। लॉकडाउन के दौरान कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में दो-तिहाई से भी कम छात्रों के पास सभी पाठ्य पुस्तकें थीं। निजी स्कूलों की स्थिति और भी खराब थी। प्राइवेट स्कूल की अधिक फीस की वजह से कई बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई भी छूट गई। वहीं पैरेंट्स के बीच ऑनलाइन एजुकेशन के बारे में एकमत राय है कि इस माध्यम से उनके बच्चों ने कुछ भी नहीं सीखा। जो पैरेंट्स समर्थ हैं उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई का समर्थन भी किया। 

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