Edited By Seema Sharma,Updated: 29 Apr, 2020 04:38 PM
बॉलीवुड ही नहीं और हॉलीवुड में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले अभिनेता इरफान खान बुधवार को दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन पर बॉलीवुड जगत में ही नहीं बल्कि राजनीति और उनके प्रशंसक सब गमगीन माहौल है। सब एक ही बात कह रहे हैं, इरफान....‘‘बहुत जल्दी...
नेशनल डेस्कः बॉलीवुड ही नहीं और हॉलीवुड में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले अभिनेता इरफान खान बुधवार को दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन पर बॉलीवुड जगत में ही नहीं बल्कि राजनीति और उनके प्रशंसक सब गमगीन माहौल है। सब एक ही बात कह रहे हैं, इरफान....‘‘बहुत जल्दी अलविदा कह गए....’’। इरफान (54) ने मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में पत्नी सुतापा, बेटे बाबिल और अयान की मौजूदगी में अंतिम सांस ली। अभिनेता 2018 से एक दुर्लभ किस्म के कैंसर न्यूरोएंड्रोक्राइन ट्यूमर से जंग लड़ रहे थे।
खतरनाक बीमारी है न्यूरोएंड्रोक्राइन ट्यूमर
इरफान न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर नामक एक दुर्लभ बीमारी का शिकार थे। यह ट्यूमर शरीर के विभिन्न हिस्सों को टारगेट करता है। इरफान इस बीमारी का इलाज कराने के लिए साल 2017 में विदेश भी गए थे। वह ठीक होकर भारत लौट आए थे और उन्होंने अंग्रेजी मिडियम फिल्म में काम भी किया। जो बीमारी इरफान खान को थी उसकी शुरुआत शरीर के किसी भी हिस्से में ट्यूमर बनने से होती है। जब तंदुरुस्त डीएनए की कोशिका क्षतिग्रस्त होती हैं तो ट्यूमर बनना शुरू होता है। ऐसे में कोशिका का आकार बढ़ने लगता है और वो अनियंत्रित हो जाती है। ट्यूमर कैंसर युक्त भी हो सकता है और नहीं भी। ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ता है और शरीर के दूसरों हिस्सों को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। अगर इसका इलाज शुरूआत में ही नहीं किया जाए तो यह कैंसर बन जाता है। जो ट्यूमर कैंसरयुक्त नहीं होते हैं उन्हें बिना कोई नुकसान के निकाला जा सकता है।
क्या है न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर
न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर यानि कि एनईटी कुछ खास कोशिकाओं में बनना शुरू होते हैं, इसमें हार्मोन पैदा करने वाली इंडोक्राइन कोशिका और नर्व कोशिका दोनों प्रभावित होती हैं। ये दोनों अहम कोशिकाएं होती हैं और शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं। न्यूरोइंडोक्राइन के विकसित होने में सालों का वक्त लगता है और यह धीरे-धीरे बढ़ता है, हालांकि कुछ एनईटी की ग्रोथ बड़ी तेज से होती है। एनईटी बॉडी के किसी भी पार्ट में विकसित हो सकता है-फेफड़े, पैंक्रियाज या गैस्ट्रो में भी। न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर शरीर के हार्मोन पैदा करने वाले हिस्सों में ही होता है। न्यूरो एंडोक्राइन ग्लैंड बॉडी में हार्मोन रिलीज करने का काम करता है और जब ये जरूरत से ज्यादा रिलीज होने लगता है तो वो ट्यूमर बन सकता है। न्यूरोइंडोक्राइन का सबसे आसान निशाना फेफड़े होते हैं। 30 फीसदी एनईटी श्वसन सिस्टम में पनपता है और इसी सिस्टम के जरिए फेफड़े को ऑक्सीजन मिलती है लेकिन एनईटी के कारण फेफड़े में इन्फेक्शन बढ़ने लगता है। शुरुआती स्टेज में एनईटी का पता नहीं चलता है क्योंकि इसके कोई साफ लक्षण नहीं दिखते। डॉक्टर इस ट्यूमर को खतरनाक मानते हैं क्योंकि इसमें बचने की संभावना बहुत कम होती है। सामान्यता यह बीमारी 60 की उम्र के बाद होती है लेकिन इरफान खान 50 की उम्र में ही इसकी चपेट में आ गए थे।
इनकी भी गई न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर से जान
न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर बीमारी से सिर्फ इरफान की जान नहीं गई, बल्कि एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स, हॉलीवुड अभिनेता जॉन हर्ट और अमेरिका की पहली महिला एस्ट्रोनॉट सैली राइड समेत कई सेलेब्रिटीज की मौत भी इसी बीमारी की वजह से हुई है।
इरफान ने ‘मकबूल’, ‘द नेमसेक’, ‘लाइफ ऑफ पाई’, ‘पान सिंह तोमर’ , ‘हासिल’ जैसी कई फिल्मों में विभिन्न तरह के किरदार निभा अपने अभिनय का जौहर दिखाया....मदहोश करने वाली मुस्कुराहट और जादुई प्रतिभा के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।