सोशल मीडिया पर राजनीतिक अभियान का खर्च अभी भी एक रहस्य

Edited By shukdev,Updated: 21 Mar, 2019 04:08 AM

the expenditure on political campaigns on social media is still a mystery

सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा इस बात को दिखाने के लिए कि उनके प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए किसने भुगतान किया है, के लिए सभी प्रयासों के वाबजूद यूजर्स को यह पता नही चल सकता कि इन वैबसाइटों पर राजनीतिक विज्ञापन चलाने के लिए वास्तविक राशि...

नई दिल्ली: सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा इस बात को दिखाने के लिए कि उनके प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए किसने भुगतान किया है, के लिए सभी प्रयासों के वाबजूद यूजर्स को यह पता नही चल सकता कि इन वैबसाइटों पर राजनीतिक विज्ञापन चलाने के लिए वास्तविक राशि कितनी खर्च हुई है। फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए आंकड़ा आधारित डाटा का पता चल सकता है,जिस पर कोई भी आंकलन कर सकता है। ये सोशल मीडिया प्रमुख की तरफ से ऐड लाइब्रेरी रिपोर्ट में बताया गया कि आम चुनावों से पूर्व फरवरी 2019 के बाद राजनीति से संबंधित भारतीयों ने तीस हजार विज्ञापनों पर 6.5 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

PunjabKesariइसी तरह ट्विटर ने भी ऐड ट्रांसपेरेंसी सेंटर में प्रत्येक व्यक्ति को सर्च करने की अनुमति दी है कि पिछले सात दिनों में विज्ञापनों पर कितनी राशि खर्च की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार राजनीतिक प्रकिृया ने इन प्रयासों को पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम समझे जा रहे हैं,मगर इस संबंध में पूरी तस्वीर सामने नहीं आ रही कि सोशल मीडिया पर इन विज्ञापनों को कितनी जगह दी जाए।

PunjabKesariसोशल मीडिया विशेषज्ञ अनूप मिश्रा ने बताया कि राजनीतिक अभियानों में प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इन अभियानों से संबंधित 90 प्रतिशत लेन देन नकदी के जरिए किया गया। इस बात को जानना महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया पर किस पार्टी ने कितना खर्च किया है क्योंकि ट्विटर या फेसबुक पर लोकप्रियता का रुझान साफ मिल जाता है इससे मतदाता का व्यवहार भी प्रभाव डालता है। यह सब कुछ राजनीतिक पार्टियों की मैनपॉवर और धन के कारण होता है। इन प्लेटफॉर्मों पर हजारों लाखों से आर्गेनिक समर्थन की भ्रांतियां भी पैदा हो रही हैं। मिश्रा ने आगे कहा कि भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी,बसपा सहित प्रत्येक राजनीतिक पार्टी अपना एजेंडा सोशल मीडिया पर डालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जिन पार्टियों के पास अधिक धन,मैनपॉवर और प्रोद्योगिक विशेषज्ञ हैं उनके सोशल मीडिया युद्ध जीतने की संभावना अधिक है।


PunjabKesariमिश्रा ने आगे कहा कि राजनीतिक पार्टियां भारी संख्या में लोगों को इस काम में लगा रही हैं कि उनके प्रचार सामग्री को वायरल करने के लिए सोशल मीडिया पर डाला जाए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विज्ञापनों के मामले में सोशल मीडिया कंपनिंयों को केवल कुछ प्रमाणित एजेंसिंयों को ही विज्ञापन पोस्ट करने की अनुमति दी जानी चाहिए इससे प्रत्येक व्यक्ति के लिए निगरानी प्रकिृया आसान हो जाएगी। प्रत्येक व्यक्ति को राजनीतिक विज्ञापन पोस्ट करने की अनुमति देने से निगरानी प्रक्रिया और जटिल हो जाएगी। यह एक बहुत बड़ी खामी है। 

PunjabKesariव्हाट्सएप ऐसे प्लेटफॉर्म का विज्ञापनों और प्रचार करने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है जिसका पता लगाना काफी कठिन है। ये बात दिल्ली स्थित सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर के प्रशांत सुगातन ने ही। चुनाव आयोग इंटरनेट कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बात कर रहे हैं जिनमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शामिल है। लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया कंपनियों से कहा है कि वे कुछ नियमों का पालन करें ताकि इन प्लेटफार्मों के दुरपयोग को रोकने के लिए प्रमाणता को देख लें। 

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