विज्ञान की नई तिजोरी है चांद

Edited By vasudha,Updated: 17 Jul, 2019 10:57 AM

the new vault of science is moon

भारत के चंद्रयान-2 अभियान में भले कुछ समय के लिए रुकावट आई है, मगर इसका महत्व कम नहीं है। चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करनी है। चांद के दक्षिण ध्रुव पर अमरीका भी पहुंचना चाहता है। वह 2024 तक वह अपना मानव मिशन अर्टमिस चांद के...

नेशनल डेस्क: भारत के चंद्रयान-2 अभियान में भले कुछ समय के लिए रुकावट आई है, मगर इसका महत्व कम नहीं है। चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करनी है। चांद के दक्षिण ध्रुव पर अमरीका भी पहुंचना चाहता है। वह 2024 तक वह अपना मानव मिशन अर्टमिस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारना चाहता है। नासा इसकी तैयारी कर रहा है। 

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चांद पर नजर क्यों
नासा का मानना है कि चांद विज्ञान के लिए नई तिजौरी है। इसके ध्रुवों पर लाखों टन पानी बर्फ के रूप में जमा है। यह पानी वहां मनुष्य को अपने अंतरिक्ष अभियान आगे बढ़ाने के लिए वरदान हो सकता है। अगली क्रांति अब अंतरिक्ष में ही होगी। खनन, पर्यटन और वैज्ञानिक शोध के लिए चांद भविष्य की अर्थव्यवस्था बन सकता है। 

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अंतरिक्ष में बनेगा अंतरिक्षयान
नासा अपनी सहयोगी कंपनियों के साथ मिलकर चांद की कक्षा के आसपास एक छोटा स्पेश शिप डिजाइन कर रहा है, जो इंसानों को धरती से ढाई लाख मील की दूरी तक लाने-ले जाने के लिए गेटवे का काम करेगा। निजी कंपनियों के रॉकेट के द्वारा पहला गेटवे दिसंबर 2022 तक शुरू कर दिया जाएगा।    

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क्या है अर्टमिस अभियान 
यह अभियान 2024 तक चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहली महिला अंतरिक्षयात्री सहित चार यात्रियों को ले जाएगा। इसके बाद 2028 तक अगले अभियानों में नासा चंद्र पर मानव को बसाने का प्रयास करेगा। चांद पर निजी कंपनियों की मदद से चंद्र अर्थव्यवस्था तैयार की जाएगी।

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