सुप्रीम कोर्ट ने कहा-दूसरी शादी अवैध, पर उससे पैदा हुआ बच्चा वैध

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Jan, 2019 01:55 PM

the second marriage is illegal but the child born to him is valid sc

सुप्रीम कोर्ट ने कि दूसरी शादी को अमान्य है लेकिन उससे पैदा हुआ बच्चा वैध है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड और जस्टिस एम.आर. शाह की बेंच ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि दूसरी शादी

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कि दूसरी शादी को अमान्य है लेकिन उससे पैदा हुआ बच्चा वैध है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड और जस्टिस एम.आर. शाह की बेंच ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि दूसरी शादी से पैदा हुए बच्चे को हमदर्दी (अनुकंपा) के आधार पर नौकरी से मना नहीं किया जा सकता। यहां आपको बता दें कि हिंदू मैरेज ऐक्ट में पहले से शादीशुदा होते हुए दूसरी शादी अवैध है।

ये है पूरा मामला
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती थी। केंद्र ने अर्जुन कुमार (बदला हुआ नाम) को प्रतिवादी बनाया था। दरअसल अर्जुन के पिता रेलवे में नौकरी करते थे। अर्जुन अपने पिता की दूसरी शादी से हुई संतान है। पिता की मौत के बाद अर्जुन ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगी लेकिन रेलवे ने नौकरी देने से मना कर दिया। हालांकि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने अर्जुन के पक्ष में आदेश सुनाया और उसे नौकरी के लिए सही दावेदार भी माना। मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा तो उच्च न्यायालय ने कहा कि हिंदू मैरेज ऐक्ट की धारा-16 के आधार पर पहली शादी रहते हुए दूसरी शादी अमान्य है लेकिन उससे पैदा हुई संतान अवैध नहीं है।

हाईकोर्ट ने रेलवे को कहा कि अनुकंपा नौकरी के आवेदन पर विचार करे। इसके बाद रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने भी बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरेज ऐक्ट की धारा-16 (1) ऐसे बच्चे को प्रोटेक्ट करने के लिए ही है, जो दूसरी शादी से पैदा होते हैं। कोर्ठ ने कहा कि धारा-11 के तहत दूसरी शादी अवैध लेकिन उससे पैदा हुए बच्चे को अवैध नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि कोई भी शर्त संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकती और न ही केंद्र सरकार की याचिका में कोई मेरिट है। कोर्ट ने अथॉरिटी को तीन महीने में इस पर फैसला लेने को कहा।

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