इन 5 जजों ने आधार पर सुनाया ऐतिहासिक फैसला, जानिए किसने क्या कहा

Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Sep, 2018 05:46 PM

these 5 judges gave the historical judgment on aadhaar verdict

सुप्रीम कोर्ट ने आज आधार पर अहम फैसला सुनाते हुए इसकी संवैधानिक वैधता तो बरकरार रखी, लेकिन साथ ही बैंक खाता खुलवाने, मोबाइल सिम लेने और स्कूलों में दाखिले के लिए इसकी अनिवार्यता को खत्म कर दिया।

नेशनल डेस्कः  सुप्रीम कोर्ट ने आज आधार पर अहम फैसला सुनाते हुए इसकी संवैधानिक वैधता तो बरकरार रखी, लेकिन साथ ही बैंक खाता खुलवाने, मोबाइल सिम लेने और स्कूलों में दाखिले के लिए इसकी अनिवार्यता को खत्म कर दिया। वहीं, संविधान पीठ ने यह भी कहा कि सरकार अदालत की इजाजत के बिना बायोमेट्रिक डाटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किसी और एजेंसी से साझा नहीं कर सकती। उसने सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिले। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की संविधान पीठ ने बहुमत के साथ आधार पर फैसला सुनाया।
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चीफ जस्टिस मिश्रा
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा का कार्यकाल 2 अक्टूबर, 2018 को खत्म होने वाला है। ऐसे में, आधार पर उनका फैसला काफी अहम है। हालांकि, जस्टिस मिश्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले दिए हैं, जिनमें समलैंगिकता का मामला भी एक है। चीफ जस्टिस मिश्रा आधार के माममले में भी पीठ की अध्यक्षता की। बता दें कि मिश्रा 27 अगस्त, 2017 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहरा के रिटायर होने के बाद देश के 45वें चीफ जस्टिस बने थे।
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जस्टिस सीकरी
जस्टिस सीकरी ने अपनी, चीफ जस्टिस तथा न्यायमूर्ति खानविलकर की ओर से बहुमत का फैसला सुनाया और स्पष्ट किया कि निजी कंपनियां आधार डाटा की मांग नहीं कर सकतीं। इसके साथ ही उन्होंने डाटा सुरक्षा को लेकर मजबूत प्रणाली विकसित करने की सरकार को हिदायत दी। न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि हर चीज सर्वोत्तम (बेस्ट) हो, कुछ अलग (यूनीक) भी होना चाहिए। उन्होंने आधार कार्ड में डुप्लीकेसी की आशंका से इनकार करते हुए कहा कि इसने गरीबों को पहचान और ताकत दी है। ए.के. सीकरी का पूरा नाम अर्जन कुमार सीकरी है। उन्होंने इच्छा मृत्यु को सशर्त अनुमति देने जैसे मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। उन्होंने 12 अप्रैल, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ग्रहण किया था। इससे पहले वे पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं।
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जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ (धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ) ने आधार पर असहमति का अपना अलग फैसला सुनाया। कई अहम मामलों में फैसला सुना चुके जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई, 2016 को भारत के सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए। विदेश से पढ़ाई करके लौटे जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकालत की शुरुआत बॉम्बे हाईकोर्ट से की। इसके बाद वे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया नियुक्त हुए। वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं।
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जस्टिस भूषण
जस्टिस भूषण ने भी आधार पर अपना अलग फैसला सुनाते हुए ज्यादातर मुद्दों पर बहुमत के फैसले से सहमति जताई। उन्हें 13 मई को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। 2001 में वे इलाहबाद हाईकोर्ट के जज बने और उसके बाद केरल हाईकोर्ट के जज नियुक्त किए गए।
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जस्टिस ए.एम. खानविलकर
जस्टिस ए.एम. खानविलकर (अजय माणिकराव खानविलकर) 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने। इससे पहले वे 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज और उसके बाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। 2013 में वे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज भी बने।

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