टीएमसी सांसद ने स्वास्थ्य प्रणाली पर उठाए सवाल, होमियोपैथिक संचालक मंडल को बताया 'गांधारी'

Edited By Yaspal,Updated: 18 Sep, 2020 08:44 PM

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राज्यसभा में शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने महाकाव्य महाभारत की पात्र ''गांधारी'' की तुलना होमियोपैथी परिषद के सात-सदस्यीय संचालक मंडल से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने नामित लोगों के ढांचे के पक्ष में हर जगह निर्वाचित निकायों को भंग कर...

नई दिल्लीः राज्यसभा में शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने महाकाव्य महाभारत की पात्र 'गांधारी' की तुलना होमियोपैथी परिषद के सात-सदस्यीय संचालक मंडल से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने नामित लोगों के ढांचे के पक्ष में हर जगह निर्वाचित निकायों को भंग कर दिया है। तृणमूल के शांतनु सेन ने सरकार पर नीम हकीमी को बढ़ावा देने और देश की स्वास्थ्य प्रणाली के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि 'सात गांधारी' 'धृतराष्ट्र' से निर्देश ले रहे हैं जो कहीं और बैठे हैं। गांधारी महाभारत की एक पात्र हैं और उनकी शादी हस्तिनापुर के नेत्रहीन राजा 'धृतराष्ट्र' से हुई थी और वह सौ कौरव पुत्रों की मां थीं। सेन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इतिहास में हमने देखा है कि केवल एक धृतराष्ट्र और एक गांधारी थे जो गुरुकुल जीतने के लिए पर्याप्त थे। लेकिन आजकल हम इस सरकार में हर जगह यह देख रहे हैं, जो अलोकतांत्रिक है और निजीकरण का सहारा लिया जा रहा है, स्वास्थ्य प्रणाली को बिगाड़ा जा रहा है। वो हर जगह सात गांधारियों को तैनात कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह नहीं कहना चाहिए कि हमारे स्वास्थ्य मंत्री, कोई धृतराष्ट्र हैं, जो हमारे ही पेशे से जुड़े हुए हैं। लेकिन, मुझे यकीन है कि धृतराष्ट्र कहीं और बैठे हैं और देश के संपूर्ण स्वास्थ्य को बर्बाद करने का संकेत दे रहे हैं।'' वह होमियोपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2020 और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2020 पर एक साथ हुयी चर्चा में भाग ले रहे थे।

तृणमूल सदस्य ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठन किया गया है लेकिन यह काम नहीं कर रहा है। सेन ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में केवल एक अध्यक्ष बैठे हैं और सात 'गंधारियों' की नियुक्ति की गयी है और 'व्यावहारिक रूप से वे कुछ नहीं कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, ‘‘एनएमसी को राजपत्र (गजट) में अधिसूचित किये जाने के बाद भी अभी तक उसे ठीक से लागू क्यों नहीं किया गया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस संचालक मंडल को कोई विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि व्यावहारिक रूप से वे कुछ भी नहीं कर रहे हैं।'' सेन ने कहा, ‘‘कृपया राजनीति का मुकाबला करें, धार्मिक कार्ड खेलें, महामारी के दौरान बोलें, हमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन कृपया देश के स्वास्थ्य के साथ न खेलें।''

तृणमूल कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह सरकार दवाओं की सभी प्राचीन प्रणालियों को ‘‘बर्बाद'' करने और नीम हकीमी को प्रोत्साहन देने के मूड में है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से स्पष्ट है, जहाँ यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि वर्ष 2030 के बाद किसी एक खास चिकित्सा प्रणाली का कोई अस्तित्व नहीं होगा। इस बात का भारतीय चिकित्सा संघ शुरू से ही विरोध करता रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हर जगह यह सरकार निर्वाचित निकाय को भंग करने के मूड में है।'' उन्होंने कहा कि भारतीय होमियोपैथिक प्रणाली पश्चिम बंगाल में बहुत लोकप्रिय है, लेकिन राज्य से कोई प्रतिनिधि नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि होमियोपैथी परिषद के संचालन मंडल में कोई चुनाव या पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि वे अप्रत्यक्ष रूप से नीम हकीमी को बढ़ावा दे रहे हैं। वे अप्रत्यक्ष रूप से निजी मेडिकल कॉलेजों को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

 

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