Edited By shukdev,Updated: 24 Jan, 2020 08:18 PM
ब्रू शरणार्थियों को बसाने की योजना के तहत त्रिपुरा सरकार ने सही लाभार्थियों की पहचान के लिए ब्रू शरणार्थियों के छह पुनर्वास शिविरों में सर्वेक्षण शुरू किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि समूची प्रक्रिया अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है।...
अगरतला: ब्रू शरणार्थियों को बसाने की योजना के तहत त्रिपुरा सरकार ने सही लाभार्थियों की पहचान के लिए ब्रू शरणार्थियों के छह पुनर्वास शिविरों में सर्वेक्षण शुरू किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि समूची प्रक्रिया अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है। ब्रू समुदाय के हजारों लोग 1997 से उत्तरी त्रिपुरा जिले के दो उपमंडलों में रह रहे हैं। जातीय हिंसा के कारण ये लोग मिजोरम से भागकर पड़ोसी राज्य पहुंचे थे। करीब 23 साल से त्रिपुरा में रह रहे इन जनजातीय लोगों को स्थाई रूप से राज्य में बसाने की अनुमति वाले समझौते पर 16 जनवरी को नई दिल्ली में ब्रू शरणार्थियों के प्रतिनिधियों, केंद्र, त्रिपुरा और मिजोरम सरकार ने हस्ताक्षर किए थे।
कंचनपुर के उपमंडलीय मजिस्ट्रेट अभेदानंद बैद्य ने कहा,‘राज्य राजस्व विभाग ने शरणार्थियों और समझौते के लाभार्थियों की कुल संख्या का पता लगाने के लिए 18 जनवरी से ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास शिविरों में सर्वेक्षण शुरू किया है।'ब्रू शरणार्थी कंचनपुर और उत्तरी त्रिपुरा जिले के पानीसागर उपमंडल में छह शिविरों में रह रहे हैं। उन्हें केंद्र से मुफ्त राशन और नकद सहायता मिलती है। समझौते के तहत हर ब्रू परिवार को चार लाख रुपए का सावधि जमाखाता, दो साल तक हर महीने 5,000 रुपए, त्रिपुरा में जमीन और दो साल के लिए राशन दिया जाएगा।
केंद्र सरकार इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार को 600 करोड़ रुपए देगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार को सावधानी बरतनी होगी कि सिर्फ सही विस्थापित लोगों को ही इसका लाभ मिले और ब्रू शरणार्थियों को बसाने की समूची प्रक्रिया इस साल अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने पिछले सप्ताह कहा था कि समझौते के नियमों का पालन करते हुए समुदाय के 34,000 लोगों को बसाने में कम से कम छह महीने का वक्त लगेगा।