ऑड-ईवन पर NGT ने फिर लगाई दिल्ली सरकार को फटकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 02:39 PM

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दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन योजना शर्तों के साथ लागू करने के राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण(एनजीटी) के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका आज वापस ले ली। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार को एक बार फिर फटकार लगाते हुए कई सवाल...

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन योजना शर्तों के साथ लागू करने के राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण(एनजीटी) के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका आज वापस ले ली। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार को एक बार फिर फटकार लगाते हुए कई सवाल पूछे। एनजीटी ने शनिवार को ऑड-ईवन योजना को अनुमति देते हुए दोपहिया वाहनों, महिलाओं और सरकारी कर्मचारियों को भी छूट नहीं देने की शर्त रखी थी।
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NGT ने सरकार से पूछे सवाल
सरकार ने 13 नवंबर से प्रस्तावित पांच दिन की ऑड-ईवन योजना को स्थगित करते हुए एनजीटी के समक्ष दोपहिया वाहनों और महिलाओं को मिली छूट देने के लिए कल पुनर्विचार याचिका दायर की थी। दिल्ली सरकार का कहना था कि महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए छूट दी जानी चाहिए। न्यायाधिकरण ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से सवाल किया

-वह योजना के दौरान महिलाओं के लिए अलग से बस क्यों नहीं चला सकती है। -दोपहिया वाहनों के संबंध में दिल्ली सरकार से पूछा कि जब अध्ययनों के अनुसार चारपहिया वाहनों की तुलना में दोपहिया वाहन अधिक प्रदूषण फैलाते है तो सरकार मनमाने ढंग से इन्हें छूट देने पर क्यों आमादा है। यह मजाक नहीं तो और क्या है? इससे क्या फायदा होने वाला है।
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NGT की सरकार को सलाह
न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया कि ऑड-ईवन योजना पर छूट के लिए वह उसके समक्ष दोबारा तभी आए जब उसके पास तार्किक तथ्य हों। न्यायाधिकरण ने कहा कि बच्चों को संक्रमित फेफड़ों का उपहार न दें। स्कूल जाते समय बच्चों को मास्क पहनने पड़ते हैं। एनजीटी ने कहा कि हालात बिगड़ने से पहले ही इससे निपटने के लिए आपके पास क्या उपाय हैं। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए कि पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर जब 48 घंटे के दौरान खतरनाक स्तर से ऊपर निकल जाए तो इसे रोकने के उपाय स्वत: लागू हो जाएं। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण का मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंच चुका है। न्यायालय ने सोमवार को इस पर सुनवाई करते हुए केन्द्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सरकार समेत दिल्ली के तीनों निगमों को नोटिस जारी कर प्रदूषण से निपटने के उपायों की जानकारी मांगी है। न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार के छूट के अनुरोध पर कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि सरकार को छूट मांगने की बजाए सकारात्मक कदम क्यों नहीं उठाती है। पिछली बार सरकार ने कहा था कि वह चार हजार बसें खरीद रहीं है, इसका क्या हुआ।

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