Edited By Tanuja,Updated: 22 May, 2018 10:23 AM
गुजरात में एक पावर प्लांट के खिलाफ भारतीय ग्रामीणों की एक अपील पर अमरीका का सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया है। इस प्लांट की वजह से कथित तौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है और इसके लिए अमरीका के इंटरनैशनल फाइनैंस कॉर्पोरेशन फंड दे रहा है...
वॉशिंगटनः गुजरात में एक पावर प्लांट के खिलाफ भारतीय ग्रामीणों की एक अपील पर अमरीका का सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया है। इस प्लांट की वजह से कथित तौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है और इसके लिए अमरीका के इंटरनैशनल फाइनैंस कॉर्पोरेशन फंड दे रहा है।
इस मामले की सुनवाई अक्तूबर से शुरू हो रहे अगले सत्र में की जाएगी। कई किसानों और मछुआरों सहित ग्रामीणों की अगुवाई कर रहे बुद्ध इस्माइल जाम ने आरोप लगाया कि कोयले से चलने वाली टाटा मुंद्रा पावर प्लांट से व्यापक तौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। वॉशिंगटन डीसी स्थित आईएफसी इस प्रॉजैक्ट के लिए 45 करोड़ अमरीकी डॉलर की मदद कर रहा है। यह विश्व बैंक की आर्थिक शाखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह यह तय करेगा कि क्या आईएफसी के पास ‘इंटरनैशनल ऑर्गनाइजेशन इम्यूनिटी एक्ट’ 1945 के तहत छूट है या नहीं। निचली अदालतों द्वारा उनकी याचिकाओं पर सुनवाई करने से इंकार करने के बाद जाम और अन्य याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपनी याचिका में ग्रामीणों ने दलील दी है कि टाटा मुंद्रा पावर प्लांट, अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय मानकों का पालन करने में विफल रही है। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है।