Analysis: 1993 में सपा-बसपा गठबंधन पर भारी पड़ी थी अकेली BJP

Edited By Naresh Kumar,Updated: 14 Jan, 2019 03:18 PM

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में शनिवार को 25 साल पुराना इतिहास दोहराया गया। एक-दूसरे के सियासी दुश्मन सपा व बसपा ने भाजपा के खिलाफ एक- दूसरे का दामन थाम लिया। ऐसा ही सियासी समझौता 1993 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी हुआ था।

जालंधर(नरेश कुमार): उत्तर प्रदेश की राजनीति में शनिवार को 25 साल पुराना इतिहास दोहराया गया। एक-दूसरे के सियासी दुश्मन सपा व बसपा ने भाजपा के खिलाफ एक- दूसरे का दामन थाम लिया। ऐसा ही सियासी समझौता 1993 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी हुआ था। उस समय राम मंदिर मुद्दा अपने चरम पर था और भाजपा पूरे देश में उभार पर थी और इसके बाद हुए लोकसभा के चुनाव में भाजपा को लगातार इस मुद्दे का सियासी फायदा होता रहा है।

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भाजपा को रोकने के लिए इन दोनों पार्टियों ने समझौता तो किया लेकिन उस दौर में भी भाजपा का वोट शेयर इन दोनों के वोट शेयर से 7 फीसदी ज्यादा था। 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 422 सीटों पर चुनाव लड़कर 177 सीटें जीती थी और उसे 33.30 फीसदी वोट मिले थे जबकि सपा 256 सीटें लड़कर 17.94 वोटों के साथ 109 सीटें जीत पाई थी और बसपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़कर 11.12 फीसदी वोटों के साथ 67 सीटें जीती थीं। यह वह दौर था जब दोनों  पार्टियां उभार पर थीं लेकिन इसके बावजूद दोनों पार्टियों को मिली कुल सीटों का आंकड़ा भाजपा को मिली सीटों के मुकाबले एक कम था। आज की सियासत में भी राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गर्माया हुआ है और आज ये दोनों पार्टियां खुद को बचाने के लिए एक साथ आई हैं।  

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2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा शून्य पर सिमटी तो सपा भी महज 5 सीटें ही जीत पाई। इन दोनों  पार्टियों का यही हश्र 2017 के विधानसभा चुनावों में हुआ जब ये दोनों  पार्टियां विधानसभा की महज 66 सीटें जीत पाईं जबकि भाजपा और उसके सहयोगियों को 325 सीटों पर जीत हासिल हुई। हालांकि 2017 का इन दोनों  पार्टियों का वोट शेयर भाजपा के मुकाबले ज्यादा है। 2017 में बसपा को 22.23 और सपा को 21.82 प्रतिशत वोट मिले। यह कुल मिलाकर 44.05 प्रतिशत बनता है जो भाजपा को मिले 39.67 प्रतिशत वोट से 4.38 फीसदी ज्यादा है, लेकिन इस पूरी सियासी कवायद और आंकड़ों में एक बात बहुत अहम है और वह है वोटों का ध्रुवीकरण। यदि भाजपा भावनात्मक मुद्दे पर वोटों का ध्रुवीकरण कराने में सफल हुई तो जमीन पर यह गठजोड़ वैसे नतीजे नहीं दे पाएगा जैसे नतीजों की इनके नेता उम्मीद कर रहे हैं। 

राम मंदिर मुद्दा हावी, भाजपा फायदे में
1991
कुल सीटें 85
भाजपा-51
विपक्ष -34

1996
कुल सीटें-85
भाजपा- 52
विपक्ष- 33

1998
कुल सीटें-85
भाजपा- 57
विपक्ष- 28

1999 
कुल सीटें-85
भाजपा- 29
विपक्ष- 56 

अयोध्या में राम मंदिर मुद्दा राजनीतिक परामर्श में नहीं, भाजपा को नुकसान
2004 
कुल सीटें-80
भाजपा- 10
विपक्ष- 70

2009
कुल सीटें-80
भाजपा- 10
विपक्ष- 70

हिंदुत्व रहा हावी
कुल सीटें-80
2014
भाजपा- 73
विपक्ष- 07

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