Terror funding Case: अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा, NIA कोर्ट ने सुनाया फैसला

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 May, 2022 06:23 PM

verdict reserved on sentence of separatist leader yasin malik

दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने टेरर फंडिंग के दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा यासीन मलिक पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी...

नेशनल डेस्क: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने टेरर फंडिंग के दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा यासीन मलिक पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। स्पेशल NIA जज प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। मलिक को दो अपराधों - आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना)- के लिए दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई। 

इससे पहले सजा सुनाने के के लिए कोर्ट रूम लाए गए यासीन मलिक ने कोर्ट से कहा, ”मैं कुछ नहीं कहूंगा, आपको जो सज़ा देनी है दे दीजिये। मैं भीख नहीं मांगूगा।” आतंकवादी सरगना मलिक जनवरी 1990 में कश्मीर में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों और जवानों की हत्या के मामले चर्चित हुआ था। उसके खिलाफ 2017 में आतंकवाद और विघटनकारी करतूतों में शामिल होने के आरोपों में मामला दायर किया गया था। मलिक ने 19 मई 2022 को एनआईए के मामलों की सुनवाई करने वाली पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत में अपने जुर्म कबूल किये थे। अदालत ने इस मामले में सजा सुनाने के लिए आज दोपहर बाद का समय निर्धारित किया था।

अदालत परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी थी और परिसर सुरक्षा कर्मियों के शिविर जैसा लग रहा था। सुरक्षा में पुलिस के अलावा अर्द्धसैनिक बल के दस्ते भी तैनात किये गये थे। परिसर में मलिक को लाये जाने से पहले बम निस्तारण दस्ते और प्रशिक्षित कुत्तों से जांच करायी गयी थी। न्यायालय कक्ष में विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह के करीब साढ़े पांच से पहुंचने से पहले मलिक को वहां लाया गया था। बुधवार को अदालती कारर्वाई के दौरान एनआईए ने मलिक को मृत्यु दंड दिये जाने की दलील दी थी। मलिक के मामले में फैसला अपराह्न साढ़े तीन बजे सुनाया जाना था लेकिन इसमें घंटे भर से अधिक देरी हुई।

‘मौत के बदले मौत' की सजा मिले- स्क्वाड्रन लीडर खन्ना की पत्नी
इस बीच, जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर में यासीन के घर मैसुमा इलाके में पथराव की छिटपुट घटनाओं की रिपोर्ट आयी हैं। स्क्वाड्रन लीडर खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह जेकेएलएफ के इस आतंकवादी को मौत की सजा चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह उनके पति की हत्या के बावजूद 32 साल तक जीवित बचा है। उन्होंने सजा सुनाये जाने से पहले जम्मू में संवाददाताओं से कहा था,‘‘ मैं अपने मामले में चाहूंगी कि ‘मौत के बदले मौत' की सजा मिले। जहां तक आतंकवादियों को धन पहुंचाने का मामला है तो मलिक को उसमें अदालत जो उचित समझे, सजा दे।'' 

28 साल पहले ही हिंसा का रास्ता छोड़ चुका है मलिक- वकील 
अदालत में उपस्थित वकील के अनुसार जेकेएलएफ सरगना मलिक के अधिवक्ता ने कहा कि उसके मुवक्किल ने 28 साल पहले ही हिंसा का रास्ता छोड़ चुका है और तब से किसी हिसंक वारदात में शामिल नहीं रहा है। मलिक के खिलाफ इस मामले में जांच एजेंसी ने मलिक, अलगाववादी कश्मीरी कार्यकर्ता फारुक अहमद डार उफर् बिट्टा कराटे, नईम खान, मोहम्मद अहमद खांडे, राजा महरुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट्ट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल रशीद शेख और नवल किशोर कपूर को आरोप पत्र में अभियुक्त बनाया था। इस मामले में इनके अलावा लश्करे तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाउद्दीन को भगोड़ा अभियुक्त घोषित किया गया था।

यूएपीए के तहत हुए मामले दर्ज
इसी वर्ष मार्च में अदालत ने मलिक और अन्य के विरुद्ध गैर कानूनी गतिविधियां निवारक (यूएपीए) अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा चलाये जाने का आदेश दिया था। मलिक और अन्य के खिलाफ यूएपीए की धारा 16 (आतंकवाद में संलिप्तता), धारा 17 (आतंकवाद के लिए धन जुटाना), धारा 18 (आतंकवाद की साजिश) और धारा 20(आतंकवादी गिरोह या संगठन से नाता) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी( आपराधिक षडयंत्र) और 124 ए राजद्रोह के अभियोग लगाये गये थे। मलिक ने आरोप पत्र को सुनाये जाने के बाद कहा कि वह अपने विरुद्ध लगाये गये अभियोगों का प्रतिवाद नहीं करेंगे। एनआईए अदालत के न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने मामले की सुनवाई के बाद यासीन मलिक की वित्तीय स्थिति के बारे में हलफनामा मांगा था और एनआईए से 25 मई रिपोटर् दाखिल करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि इस मामले में 25 मई को सजा सुनायी जायेगी।

 

 

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