जब बंद रेल फाटक ने बचा ली थी बापू ​की जिंदगी

Edited By vasudha,Updated: 02 Oct, 2019 11:38 AM

when bapu life was saved from the closed rail gate

महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, लेकिन इससे करीब 14 बरस पहले गांधीजी पर पुणे में हमला हुआ था और रेलवे के एक बंद फाटक की वजह से उनकी जान बच गई थी

पुणे: महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, लेकिन इससे करीब 14 बरस पहले गांधीजी पर पुणे में हमला हुआ था और रेलवे के एक बंद फाटक की वजह से उनकी जान बच गई थी। गांधीजी की जान लेने की चार-पांच बार कोशिश हुई थी, जिनमें से एक हमला 25 जून 1934 को पुणे में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि गांधी जी का छुआछूत के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान इस हमले का कारण था लेकिन आज तक हमलावर की पहचान पता नहीं चल सकी।

 

गांधी जी की पुणे यात्रा के दौरान 25 जून 1934 को एक कार पर यह मानकर बम फेंका गया था कि गांधी गाड़ी में बैठे हुए हैं। यह हमला विश्रामबाग इलाके में हुआ था जहां गांधीजी को एक बैठक को संबोधित करना था। हमले में पुणे महानरगपालिका के मुख्य अधिकारी और कार सवार कुछ लोग जख्मी हो गए थे। कांग्रेस नेता एवं स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में मंत्री बने दिवंगत नहर विष्णु गाडगिल ने महात्मा गांधी की जान लेने की कोशिश का उल्लेख मराठी में लिखी अपनी आत्मकथा ‘पथिक' में किया है। गाडगिल के मुताबिक, गांधी जी वक्त पर बैठक के लिए निकले, लेकिन उनकी कार को वाकडेवाडी पर रेलवे क्रॉसिंग पर रूकना पड़ा जिस वजह से वह बैठक स्थल पर पांच मिनट देरी से पहुंचे। 

 

गाडगिल ने कहा कि विश्रामबाग में सभा हॉल के बाहर तेज धमाके की आवाज सुनी गई।  हॉल के अंदर मौजूद लोग समझे की गांधीजी के स्वागत के लिए पटाखे जलाए गए हैं। बाद में मालूम पड़ा कि कुछ दुष्ट लोगों ने यह सोच कर एक कार पर बम फेंका था कि गांधी उसमें बैठे हुए हैं। गाडगिल ने लिखा कि रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक बंद होने की वजह से गांधी जी की जिंदगी बच गई। विस्फोट के कुछ मिनट बाद गांधी जी की गाड़ी पहुंची तो गाडगिल उन्हें एक तरफ ले गए, उन्हें गले लगाया और अंदर ले गए। बैठक कुछ मिनट में ही खत्म हो गई और गांधीजी को पुलिस सुरक्षा में वहां से ले जाया गया। 

 

जब गांधीजी लौटने के लिए ट्रेन में सवार हुए तो, गांधीजी ने गाडगिल से कहा कि अगर वे हमलावर को ढूंढ लें तो उससे कहना कि मैंने उसे माफ कर दिया है लेकिन हमलावर कभी नहीं मिला, न ही उसकी पहचान हो सकी। पत्रकार और शोधार्थी अरूण खोरे ने इस बात को रेखांकित किया है कि उनके मार्गदर्शक और उनका हत्यारा दोनों पुणे से थे। खोरे गांधीजी के पुणे से जुड़ाव पर किताब लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोपाल कृष्ण गोखले को गांधी अपना राजनीतिक गुरू मानते थे और वह पुणे के रहने वाले थे। वहीं उनकी हत्या करने वाला गोडसे भी पुणे का था। दिल्ली के बिरला भवन में नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। 

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