क्या सचमुच जनरल केटेगरी वालों को मिलने जा रहा है 10 % आरक्षण ?

Edited By vasudha,Updated: 07 Jan, 2019 07:14 PM

will general category people have get reservation

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बहुत बड़ा दांव खेला है। केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमज़ोर जनरल केटेगरी यानी अगड़ी जाति के लोगों को  को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है...

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बहुत बड़ा दांव खेला है। केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमज़ोर जनरल केटेगरी यानी अगड़ी जाति के लोगों को  को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है। ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया जैसी अगड़ी जातियों को अब आरक्षण का फायदा मिलने की बात सरकार कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार संविधान संशोधन बिल को संसद में पेश कर सकती है। इसके लिए संविधान के अनुछेद 15 और 16  में बदलाव किया जाएगा। 
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किसको मिलेगा आरक्षण ?

  • जिनकी 8  लाख से कम सालाना आमदनी है।
  • जिनके पास 5 एकड़ से कम खेती की ज़मीन है।
  • जिनके पास 100 गज से कम का घर हो।
  • जिनके पास निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो।
  • जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो।

अब आपको बताते हैं कि सरकार का यह फैसला वास्तविकता से कितना दूर है? सबसे पहले जानते हैं कि संविधान ने किस वर्ग को आरक्षण की सुविधा दी है। भारत का संविधान सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देता है।

भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था:

  • भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति को 15 प्रतिशत
  • अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत और
  • ओबीसी को 27 प्रतिशत
     

सरकार को इसे कानून बनाने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। 1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की 13 न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया कि संसद मूल अधिकारों में ऐसा कोई भी संशोधन नहीं कर सकती, जिससे संविधान के मूल ढांचे या बुनियादी संरचना को क्षति पहुंचती हो। 1980 में मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने साफ़ किया कि कोई भी संशोधन जो संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ है, न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित कर दिया जायेगा।1991 में नरसिम्हा राव सरकार ने भी आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण का फैसला किया था। लेकिन 1992 में इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राव सरकार के फैसले को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि भारतीय संविधान ने  गरीबी को  आरक्षण का आधार नहीं माना है साथ में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 49.5 भी कर दी थी। 1992 में सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले के कारण गुर्जर और मराठाओं को अभी तक आरक्षण नहीं मिल पाया है।
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किन-किन राज्यों में उठ रही है आरक्षण की मांग :

  • गुजरात - पटेल
  • राजस्थान-गुर्जर
  • महाराष्ट्र- मराठा
  • पंजाब,हरियाणा, यूपी- जाट आरक्षण की मांग कर रहे हैं।


हाल ही में मध्य पदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी को मिली हार का मुख्य कारण जनरल केटेगरी का सरकार से नाराज़ होना बताया जा रहा है। बीजेपी के परम्परागत वोटर समझे जाने वाली अगड़ी जाति को लगा कि मोदी सरकार उनकी अनदेखी कर रही है।

क्यों नाराज़ थी जनरल केटेगरी के वोटर्स?
20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में महत्वपूर्ण बदलाव कर दिए थे जिसका दलित संगठनो ने विरोध किया। 9 अगस्त को दलित संगठनों के भारत बंद और एनडीए में अपने सहयोगियों के दबाव के आगे झुकते हुए बीजेपी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट की पूर्व स्थिति को बहाल कर दिया। जिसके खिलाफ 6 सितम्बर को भारत बंद भी बुलाया। एससी एसटी एक्ट संशोधन का विरोध कर रहे आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर को गिरफ्तार करना भी मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी को भारी पड़ा। तीनो राज्यों के चुनाव में जनरल केटेगरी ने कई सीटों में बीजेपी को वोट देने की बजाय NOTA को चुना। 
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बीजेपी के आरक्षण के दांव पर दूसरे दल के नेताओं से क्या आई प्रतिक्रियाएं :

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल: चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ़ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले: सरकार का ये फैसला काफी अच्छा है, इससे समाज के एक बड़े तबके को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि सवर्णों में भी कई ऐसे लोग हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी: ये लोग जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं, इस बिल को ये पास भी नहीं करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई साधारण बिल पास नहीं हो पा रहा है तो फिर ये बिल कैसे पास हो पाएगा।

नेशनल कांन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला:  गरीब सवर्णों को आरक्षण का ऐलान साबित करता है कि चुनाव का बिगुल अच्छे से बजाया जा चुका है।

हार्दिक पटेल:  पिछले काफी दिनों से संसद चल रही थी ऐसे में आखिरी दिनों में इस प्रकार का फैसला करना, ये सिर्फ एक सरकार का नया नाटक है।

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