Edited By vasudha,Updated: 24 Nov, 2020 10:09 AM
इन दिनों देश में ''रिवेंज पोर्न'' (बदले के तौर पर पॉर्न का इस्तेमाल) के मामलों में काफी इज़ाफ़ा देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन के दौरान यह समस्या काफ़ी बढ़ी, जो एक चिंता का विषय है। अब इसी समस्या का समाधान निकालने के लिए ओडिशा हाई कोर्ट ने एक सुझाव...
नेशनल डेस्क: इन दिनों देश में 'रिवेंज पोर्न' (बदले के तौर पर पॉर्न का इस्तेमाल) के मामलों में काफी इज़ाफ़ा देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन के दौरान यह समस्या काफ़ी बढ़ी, जो एक चिंता का विषय है। अब इसी समस्या का समाधान निकालने के लिए ओडिशा हाई कोर्ट ने एक सुझाव दिया है, जिसके तहत अगर कोई आपत्तिजनक वीडियो या तस्वीर इंटरनेट पर डाली गई हो तो पीड़ित के पास (राइट टु बी फॉरगॉटन) का प्रावधान होना चाहिए।
यूरोपीय देशों के नागरिकों को मिल चुका है यह अधिकार
बता दें कि यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों को राइट टु फॉरगॉटन (Right To Be Forgotten) दे रखा है। ओडिशा हाई कोर्ट भारत की पहली ऐसी संवैधानिक अदालत है जिसने भारतीय नागरिकों को भी यह अधिकार प्रदान करने के लिए आवाज उठाई है। जस्टिस एसके पाणीग्रही ने इस पर तर्क देते हुए कहा कि पीड़ित के पास अपने खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री परोसे जाने पर राइट टु फॉरगॉटन को इस्तेमाल करने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले 'निजता के अधिकार' का ही अंग बनाया जा सकता है।
क्या है रिवेंज पोर्न
किसी व्यक्ति के निजी या व्यक्तिगत पलों से जुड़े अश्लील फोटो, वीडियो या ऑडियो को उसके पार्टनर या फिर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इजाजत के बिना ऑनलाइन साझा करना रिवेंज पोर्न या रिवेंज पोर्नोग्राफी कहलाती है। इंटरनेट या सोशल मीडिया के जमाने में इस अपराध में तेजी देखी जा रही है। लोग अपने पार्टनर के साथ बिताए अंतरंग पलों के अश्लील फोटो, वीडियो या ऑडियो रख लेते हैं और ब्रेकअप के बाद इसे जगजाहिर करने की धमकी देते हैं।बाद में जबरन शारीरिक संबंध बनाने की धमकी भी दी जाती है।
महिलाएं होती हैं अधिक शिकार
कई बार रिवेंज पॉर्न डिप्रेशन और आत्महत्या की वजह भी बन जाता है। रिवेंज पॉर्न का असर शर्मिंदगी और आघात से ज्यादा होता है, जो लोग इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते वो अक्सर डिप्रेशन, सामाजिक अलगाव के शिकार होते हैं और आत्महत्या का प्रयास भी करते हैं। रिवेंज पॉर्न के पीड़ित सबसे ज्यादा महिलाएं होती हैं। 93% पीड़ितों का कहना है कि इसका शिकार होने के बाद वो भावनात्मक रूप से पूरी तरह टूट चुकी हैं।