पंजाब में बिल्कुल अकेले पड़ गए ‘आप’ के यह नेता

Edited By ,Updated: 30 Mar, 2015 02:10 PM

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आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण को बाहर करने का जहां

चंडीगढ़(भुल्लर): आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण को बाहर करने का जहां हरियाणा व राजस्थान जैसे राज्यों में कई नेताओं ने कड़ा विरोध किया है, वहीं पंजाब में स्थिति बिल्कुल विपरीत है। पूरे देश में सिर्फ पंजाब से ही ‘आप’ के 4 सांसद जीते थे। इनमें से पटियाला के डा. धर्मबीर गांधी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का बहिष्कार करते हुए खुलकर योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण का साथ दिया परंतु वह पंजाब यूनिट के नेताओं में अकेले पड़ गए हैं। 

राज्य के अन्य 3 सांसदों भगवंत मान, हरिंद्र सिंह खालसा व प्रो. साधु सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले को पूरी तरह सही बताते हुए केजरीवाल का समर्थन किया है। इसके अलावा ‘आप’ की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुच्चा सिंह छोटेपुर व वरिष्ठ नेता एच.एस. फूलका समेत अधिकतर ‘आप’ नेता केजरीवाल के ही समर्थन में हैं। 

अब ‘आप’  पंजाब के नेताओं ने डा. गांधी को भी यादव व प्रशांत का साथी बताते हुए अंदरखाते पार्टी से बाहर करवाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। बेशक ‘आप’ पंजाब में संयोजक छोटेपुर व भगवंत मान के सुर आपस में नहीं मिलते और पिछले दिनों में कई मुद्दों पर मतभेद होते रहे हैं परंतु यादव व प्रशांत के मामले में वह एकजुट हैं। 

हरिंद्र सिंह खालसा 

यह घटनाक्रम दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे टाला जा सकता था। परंतु योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण साजिशें करके केजरीवाल की टांगें खींचने का प्रयास कर रहे थे और पार्टी की एनर्जी भी वाद-विवाद में लग रही थी। इसे देखते हुए दोनों को बाहर करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि इससे पार्टी को फायदा ही होगा और एक तरह से शुद्धिकरण हो गया है।

उन्होंने कहा कि डा. गांधी ने भी बैठक से बाहर आकर झूठ बोला है और उन्हें सोचना चाहिए कि जीतने से पहले उन्हें कौन जानता था तथा पार्टी की बदौलत ही वह सांसद बने हैं। अगर उन्होंने कुछ बोलना ही है तो पहले उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। 

भगवंत मान 

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में फैसला लोकतंत्रीय तरीके से सहमति से ही लिया गया है। इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ। यह फैसला देरी से हुआ है जो काफी पहले हो जाना चाहिए था, क्योंकि यादव व प्रशांत पार्टी विरोधी लोगों से मिल कर ही साजिशें रच रहे थे और अब झूठे आरोप लगाकर शोरशराबा करके अपनी चमड़ी बचाने के प्रयास कर रहे हैं। इनके बाहर जाने से पार्टी को नई शक्ति मिलेगी। 

एच.एस. फूलका 

पार्टी में अनुशासन रखना सबसे जरूरी है और योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण लगातार साजिशें करके पार्टी विरोधी कार्य में लगे हुए थे जिससे पार्टी का भी नुक्सान हो रहा था। इनको बाहर कर सही फैसला लिया गया है। पंजाब के नेता पूरी तरह एकजुट होकर चट्टान की तरह केजरीवाल के पीछे खड़े हैं और उनका एक ही उद्देश्य वर्ष 2017 के चुनाव में विजय हासिल करना है।

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