DSGPC के चुनावों में बड़ी जीत अकाली दल के लिए पंजाब में शुभ संकेत

Edited By vasudha,Updated: 26 Aug, 2021 11:55 AM

dsgpc big victory in the elections

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.पी.सी.) चुनाव के नतीजे आ गए हैं। शिरोमणि अकाली दल बादल ने अपने विरोधियों को भारी अंतर से हराकर बड़ी जीत हासिल की। उल्लेखनीय है कि पावन स्वरूपों की बेअदबी के बाद शिरोमणि अकाली दल (ब) को लगातार भारी विरोध...

जालंधर (जगबाणी ब्यूरो): दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.पी.सी.) चुनाव के नतीजे आ गए हैं। शिरोमणि अकाली दल बादल ने अपने विरोधियों को भारी अंतर से हराकर बड़ी जीत हासिल की। उल्लेखनीय है कि पावन स्वरूपों की बेअदबी के बाद शिरोमणि अकाली दल (ब) को लगातार भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा था और अकाली दल की दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पंथक चुनावों में यह जीत शिरोमणि अकाली दल बादल के लिए बहुत अच्छे संकेत हैं। इस जीत ने अकालियों में सिख समुदाय के विश्वास के पुनरुत्थान का संकेत दिया है। ऐसा लगता है कि संगत ने अकाली दल को जीत लिया है और अकाली दल के काम पर मुहर लगा दी है।


एक बार इन आंकड़ों के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि कैसे सिख संगत ने शिरोमणि अकाली दल पर भरोसा दिखाया है। जब इन चुनावों के नतीजे आए तो संगत ने शिरोमणि अकाली दल के प्रति जो विश्वास दिखाया, वह भी सामने आया। इस चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने शानदार जीत के साथ कुल 27 सीटें जीती हैं। शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) को केवल 15 सीटों के साथ, जबकि मंजीत सिंह जी.के. की पार्टी जागो को केवल 3 सीटों के साथ समझौता करना पड़ा है तथा पंथक अकाली लहर को केवल एक सीट हासिल हुई है। ये आंकड़े साफ इशारा करते हैं कि दिल्ली की सिख संगत ने शिरोमणि अकाली दल पर अपना भरोसा जताया है तथा इस बात से लगता है कि सिख संगत जैसे इन मुद्दों के लिए अकाली दल को कसूरवार नहीं मानती है या फिर अकाली दल को बरी कर चुकी है।

 

दिल्ली की जीत क्या अकाली दल को जिताएगी पंजाब में
यदि पंथक सियासत के नजरिए से दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों पर एक नजर डालें तो यह बात साफ दिखाई देती है कि पंथक हलकों में जिस तरह अकाली दल का अक्स सोचा जा रहा था वह पूरी तरह ऐसा नहीं है या यह कहा जा सकता है कि जिस तरह के अक्स को उभारने की कोशिश की जा रही थी उस तरह के अक्स को सिख संगत ने बिल्कुल भी मान्यता नहीं दी है। अब सवाल पैदा होता है कि क्या पंजाब के सिख भी दिल्ली की तरह अकाली दल को पंजाब विधानसभा के चुनावों में इसी तरह की बड़ी जीत दिलाकर पंजाब की कमान शिरोमणि अकाली दल के हाथों में देंगे क्योंकि अकाली दल ने पंथक चुनावों में जीत हासिल की है। इससे तो यही लग रहा है कि अकाली दल का जो अक्स पंथ विरोधी के रूप में उभारा जा रहा था उसको दिल्ली के सिखों ने मान्यता नहीं दी है तथा सीधे तौर पर अकाली दल को उसी तरह ही पंथ की अगुवाई दी है जैसे पंथ पहले अकाली दल को देता आ रहा है। यदि पंजाब विधानसभा चुनावों की बात करें तो इस जीत से संभावना जताई जा सकती है कि पंजाब सिख संगत भी अकाली दल को उसी तरह पंथ प्रवान करेंगे जैसा दिल्ली में हुआ है। फिलहाल यह अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है।

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