हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जकिया की अपील दायर करने में 216 दिनों की देरी न्यायालय ने माफ की

Edited By PTI News Agency,Updated: 24 Jun, 2022 08:51 PM

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नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को गुजरात उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2017 के उस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 216 दिनों की देरी माफ कर दी, जिसके तहत 2002 के गुजरात दंगों में शामिल विषय को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन...

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को गुजरात उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2017 के उस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 216 दिनों की देरी माफ कर दी, जिसके तहत 2002 के गुजरात दंगों में शामिल विषय को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गयी क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी गयी थी।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने पाया कि देरी को माफ करने के लिए आवेदन में दिया गया स्पष्टीकरण ‘‘अस्पष्ट’’ था और किसी भी भौतिक तथ्यों और विवरणों से रहित था।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने कहा, “गुजरात के उच्च न्यायालय द्वारा पारित पांच अक्टूबर, 2017 के फैसले के खिलाफ इस विशेष अनुमति याचिका को दायर करने में 216 दिनों की देरी हुई है…. भले ही देरी की माफी के लिए आवेदन में दिया गया स्पष्टीकरण अस्पष्ट है और किसी भी भौतिक तथ्यों और विवरणों से रहित है, लेकिन इसमें शामिल विषय को ध्यान में रखते हुए, हमने देरी को अनदेखा करना/ माफ करना उचित समझा और मामले की सुनवाई की दिशा में आगे बढ़े।’’
पीठ ने यह भी कहा कि गुजरात सरकार और विशेष जांच दल (एसआईटी)ने याचिका दायर करने में अस्पष्टीकृत देरी के कारण गुण-दोष के आधार पर मामले की सुनवाई पर तीखी आपत्ति दर्ज कराई थी।

पीठ ने दंगे में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी। जकिया ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान एक बड़ी साजिश का आरोप लगाया था और उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी।
इसने कहा कि प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता नंबर दो के रूप में कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के शामिल होने पर भी ‘‘गंभीर आपत्ति’’ थी, क्योंकि जिस विरोध याचिका पर आक्षेपित आदेश पारित किया गया था और अपील में चुनौती दी गयी थी, वह जकिया जाफरी द्वारा ही दायर की गयी थी।

पीठ ने कहा कि सीतलवाड़ के अनुसार, वह ‘‘मानवाधिकारों के मसले की वास्तविक समाजसुधारक’’ हैं और न्याय की तलाश के लिए इस मामले पर बारीकी से नजर रख रही हैं।

हालांकि, पीठ ने कहा, ‘‘हम अपीलकर्ता - जकिया अहसान जाफरी के अनुरोध पर आक्षेपित आदेश को दी गयी चुनौती के गुण-दोषों की जांच करने के पक्ष में हैं।’’
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद एहसान जाफरी अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में 28 फरवरी, 2002 को हुई हिंसा के दौरान मारे गए 68 लोगों में शामिल थे। यह हिंसा गोधरा में ट्रेन की बोगी में आग लगाये जाने की घटना के एक दिन बाद हुई थी। गोधरा ट्रेन अग्निकांड में 59 लोगों की जान चली गई थी।



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