मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने मोदी सरकार से कहा कि कृषि कानूनों के बारे में आम सहमति बनायें

Edited By PTI News Agency,Updated: 20 Jan, 2021 10:40 PM

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हैदराबाद, 20 जनवरी (भाषा) योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बुधवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के एक वर्ग के विरोध का सामना कर रहे राजग सरकार को चर्चा के माध्यम से लोगों के बीच आम सहमति बनाने की जरूरत है।

हैदराबाद, 20 जनवरी (भाषा) योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बुधवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के एक वर्ग के विरोध का सामना कर रहे राजग सरकार को चर्चा के माध्यम से लोगों के बीच आम सहमति बनाने की जरूरत है।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव के साथ मंथन द्वारा आभासी तौर पर आयोजित एक संवादात्मक सत्र में, उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण देश का बढ़ता राजकोषीय घाटा प्रमुख चिंताओं में से एक है और इसे जारी नहीं रहने दिया जा सकता है, क्योंकि यह ‘निजी क्षेत्र के विकास के लिए पर्याप्त जगह नहीं देता है।’’ अहलूवालिया से जब पूछा गया कि क्या मौजूदा गतिरोध को कैसे समाप्त किया जा सकता है, तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि एक सामान्य बात यह उठती है कि जब आप सुधार करते हैं जो लोगों को प्रभावित करने वाले होते हैं, तो आम सहमति बनाने के लिए चर्चा और भागीदारी इत्यादि सर्वसम्मति बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं।’’ सितंबर 2020 में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर लगभग दो महीने से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ विचार-विमर्श कर रही है।
हालाँकि अभी तक गतिरोध कायम है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपको कदम पीछे खींचने की ज़रूरत है और आपको लोगों से बात करनी होगी।’’ उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि नवीनतम स्थिति क्या है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि वार्ता जारी है।
उन्होंने कहा कि लेकिन कोई नहीं कह रहा है कि कोई समाधान निकल गया है।
उनके अनुसार, अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि देश को कृषि बाजारों में सुधार करने और इसे गति देने के लिए निजी क्षेत्र में लाने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि एक सामान्य धारणा थी कि नए कृषि कानूनों को लाने की पूरी कवायद जल्दबाजी और संसद के माध्यम से शुरू की गई थी।


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