Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jun, 2017 06:38 PM
गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जी.एस.टी.) के कार्यान्वयन का समय साथ आने के बीच केंद्र ने ई-वे बिल के कार्यान्वयन को कुछ महीने टालने का समर्थन किया है।
नई दिल्लीः गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जी.एस.टी.) के कार्यान्वयन का समय साथ आने के बीच केंद्र ने ई-वे बिल के कार्यान्वयन को कुछ महीने टालने का समर्थन किया है। इस प्रणाली के तहत खरीद फरोख्त में 50,000 रुपए से अधिक मूल्य की सभी वस्तुओं को लाने ले जाने के लिए पहले आनलाइन पंजीकरण कराना होगा।
राज्य इसे टालने के मूड में नहीं
अधिकारियों के मुताबिक राज्य ई-वे बिल को टालना नहीं चाहते। जी.एस.टी. परिषद ने नैशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर (एन.आई.सी.) की सेवाएं लेने का फैसला किया है। एन.आई.सी. इस मामले में जी.एस.टी. नैटवर्क के साथ मिलकर काम करेगी और देखेगी कि क्या अखिल भारतीय स्तर की ई-वे बिल प्रणाली थोड़े समय में बनाई जा सकती है।
ड्राफ्ट में ई-वे बिल को बनाया अनिवार्य
जी.एस.टी. काऊंसिल को वित्त मंत्री अरुण जेतली अप्रैल में जी.एस.टी. ड्राफ्ट में ई-वे बिल को अनिवार्य बना दिया है। इसके तहत 50,000 रुपए से ज्यादा के गुड्स के लिए सराकर को पहले से ई-वे बिल के जरिए बताना होगा।
इतने समये के लिए मान्य होगा ई-वे बिल
जीएसटीएन ई-वे बिल जारी करेगी जो कि तय की जाने वाली दूरी के हिसाब से 1 से 15 दिन तक वैध होंगे। कर अधिकारी कर किसी तरह की कर चोरी रोकने के लिए किसी भी समय इन बिल की जांच कर सकते हैं। हालांकि उद्योग जगत ने इस पर चिंता जताते हुए कहा था कि 50,000 रुपए की सीमा बहुत कम है और परिवहन परिचालन को पूरा करने की समयसीमा वास्तविकता से दूर तथा अव्यावहारिक है।
अधिकारियों का कहना है कि जी.एस.टी. परिषद की 3 जून को हुई बैठक् में केंद्र ने तर्क दिया कि जी.एस.टी. कार्यान्वयन के पहले तीन महीने में जीएसटीएन नई कर प्रणाली के कार्यान्वयन को सुचारू बनाने में व्यस्त रहेगी। इसलिए ई-वे बिलों के लिए प्लेटफार्म बनाने में लगभग 6 महीने का समय लगेगा। केंद्र का कहना है कि जीएसटीएन नियम व फार्म आदि को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही साफ्टवेयर बनाना शुरू करेगा। इसके साथ ही केंद्र ने सुझाव दिया कि ई-वे बिल प्रणाली का कार्यान्वयन कुछ महीने के लिए टाला जा सकता है। इसके साथ ही उद्योग जगत से मिले सुझावों आदि पर भी अभी विचार किया जाना है। अधिकारियों के अनुसार इसको ध्यान में रखते हुए जी.एस.टी. परिषद ने ई-वे बिल प्रणाली पर फैसला टालने का फैसला किया और जीएसटीएन से कहा कि वह एन.आई.सी. से यह पता करे कि क्या वह ई-वे बिल प्रणाली थोड़े समय में बना सकती है।