PNB घोटाला: बैंकिंग और इंडस्ट्रियल सैक्टर में तकरार, एक- दूसरे पर लगाए आरोप

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 10:56 AM

complaint in banking and industrial sector allegations imposed on each other

नीरव मोदी, विजय माल्या, ललित मोदी के बाद अब बैंक धोखाधड़ी में कोठारी समूह के प्रवर्तकों का भी नाम आने के बाद बैंकों और उद्योग संगठनों में तकरार पैदा हो गई है। उद्योगों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर...

नई दिल्ली: नीरव मोदी, विजय माल्या, ललित मोदी के बाद अब बैंक धोखाधड़ी में कोठारी समूह के प्रवर्तकों का भी नाम आने के बाद बैंकों और उद्योग संगठनों में तकरार पैदा हो गई है। उद्योगों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए वहीं बैंक इस तरह की धोखाधड़ी के लिए उद्योगों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। रविवार को एसोचैम द्वारा सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग किए जाने के बाद सोमवार को प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की ने भी निजीकरण की मांग की है।

फिक्की ने कहा कि पिछले 11 वर्ष से बैंकों की पुनर्पूंजीकरण किया जा रहा है लेकिन उसका  प्रभाव सीमित रहा है। उसने कहा कि भारतीय बैंकिंग तंत्र में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत है। सरकार पिछले 11 वर्ष में पुनर्पूंजीकरण के तहत 2.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर चुकी है लेकिन सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति पर इसका सीमित असर हुआ है। 

हैदराबाद से मिली खबरों के अनुसार अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी एसोसिएशन (ए.आई.बी.ई.ए.) ने बैंकों के निजीकरण की एसोचैम की मांग को निंदनीय बताते हुए कहा कि उद्योग संगठन को अपने सदस्यों को बैंक ऋण का भुगतान करने की सलाह देनी चाहिए और बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए नीरव मोदी की निंदा करनी चाहिए।

ऊपर के अफसरों पर भी हो रही कार्रवाई
ए.आई.बी.ई.ए. ने कहा कि पी.एन.बी. मामले में जांच पूरी होने और जिम्मेदारी तय होने तक शीर्ष अधिकारियों को सेवा से बाहर किया जाना चाहिए। संगठन ने कहा कि ऐसा संदेश जा रहा है कि इसमें सिर्फ नीचे के पदों के अधिकारी शामिल थे। उसने कहा जो कार्रवाई निचले अधिकारी पर हुई है वही शीर्ष अधिकारियों पर भी होनी चाहिए।

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