पीले सोने पर संकट: रकबा घटा, उत्पादकता में भी कमी का खतरा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Aug, 2017 04:43 PM

crisis on soyabean due to decrease in size  productivity loss

देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस तिलहन फसल का रकबा ....

इंदौरः देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस तिलहन फसल का रकबा घटने के बाद मॉनसूनी बारिश की बेरुखी से इसकी उपज में भी गिरावट का खतरा पैदा हो गया है। इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आई.आई.एस.आर.) के निदेशक वीएस भाटिया ने आज बताया, प्रदेश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक इलाकों में पिछले 15-20 दिन से नहीं के बराबर बारिश हुई है। इससे फसल की हालत खराब हो रही है। अगर इन इलाकों में जल्द ही बारिश नहीं हुई, तो सोयाबीन की उत्पादकता में निश्चित तौर पर गिरावट होगी।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के कुछ सोयाबीन उत्पादक इलाकों में कीटों का प्रकोप भी हुआ है। प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने 10 अगस्त तक के आंकड़ों के हवाले से बताया कि सूबे में करीब 48 लाख हेक्टेयर में ही सोयाबीन बोई गई है,जबकि मौजूदा सत्र में इसकी बुआई के लिए 53 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य तय है। वर्ष 2016 के खरीफ सत्र के दौरान सूबे में कुल 54.01 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई थी। बीते खरीफ सत्र के दौरान भावों में गिरावट के चलते किसानों को सोयाबीन की फसल सरकार के तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) से भी नीचे बेचनी पड़ी थी। इस कारण परंपरागत रूप से सोयाबीन उगाने वाले ज्यादातर किसानों ने उपज के बेहतर भावों की आशा में मौजूदा खरीफ सत्र में तुअर (अरहर), मूंग और उड़द जैसी दलहनी फसलों की बुआई मुनासिब समझी है। नतीजतन सोयाबीन के रकबे में गिरावट गई है।
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किसानों में ‘पीले सोने’ के नाम से मशहूर सोयाबीन मध्यप्रदेश की प्रमुख नकदी फसल है और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में इसका सामान्य रकबा 58.59 लाख हेक्टेयर है। लेकिन पिछले तीन खरीफ सत्रों से देखा जा रहा है कि किसान बेहतर भावों की उम्मीद में दलहनी फसलों की खेती की ओर आर्किषत हो रहे हैं। इससे सोयाबीन का रकबा घट रहा है। इस बीच,सूबे में सोयाबीन फसल के संकट पर प्रसंस्करणकर्ताओं ने भी चिंता जताई है। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन ने कहा कि मॉनसून के इस मौसम में कम बारिश से सोयाबीन की फलियों की बढ़त पर असर पड़ा है जिससे फसल की उत्पादकता गिरने की आशंका लगातार बलवती हो रही है। उन्होंने कहा, सूबे में सोयाबीन की फसल को नए जीवन के लिए अब जल्द से जल्द अच्छी बारिश की सख्त दरकार है।   
 

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