पुरुषों के बराबर महिलाओं की भागीदारी से 27 प्रतिशत बढ़ सकती है भारत की GDP: WEF

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 05:32 AM

gdp of india can increase by 27 with equal participation of men

देश की लेबर फोर्स में यदि महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो जाए तो इससे जी.डी.पी. 27 प्रतिशत तक की हो सकती है। इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (आई.एम.एफ.) की प्रमुख क्रिस्टिना लेगार्डे और नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोल्बर्ग ने एक ज्वाइंट पेपर में यह...

नई दिल्ली: देश की लेबर फोर्स में यदि महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो जाए तो इससे जी.डी.पी. 27 प्रतिशत तक की हो सकती है। इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (आई.एम.एफ.) की प्रमुख क्रिस्टिना लेगार्डे और नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोल्बर्ग ने एक ज्वाइंट पेपर में यह बात कही।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यू.ई.एफ.) की ओर से दावोस में एनुअल समिट की शुरूआत के पहले पब्लिश पेपर में दोनों नेताओं ने 2018 को महिलाओं की कामयाबी का साल बनाने की वकालत की। लेगार्डे और सोल्बर्ग इस साल की सालाना महिला सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही हैं। यह सम्मेलन सोमवार से शुरू होगा। भारत की सिविल इंटरप्रेन्योअर चेतना सिन्हा भी इस सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प सहित 70 देशों के प्रमुख शामिल होंगे।

महिलाओं के लिए अधिक सम्मान और अवसरों की जरूरत
दोनों नेताओं ने लिखा कि महिलाओं के लिए अधिक सम्मान और अवसरों की जरूरत अब सार्वजनिक रूप से होने वाली बातचीत का अहम हिस्सा होने लगा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों को सफल होने का अवसर मुहैया कराना न केवल सही है बल्कि यह समाज और अर्थव्यवस्था को भी बदल सकता है। लेगार्डे और सोल्बर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि डब्ल्यू.ई.एफ. की इस साल की समिट के एजैंडे में ‘महिला सशक्तिकरण की चुनौतियां’ निश्चित तौर पर होगा। लेगार्डे और सोल्बर्ग ने कहा कि आर्थिक आंकड़े खुद अपनी कहानी कहते हैं। लेबर फोर्स में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर करने से जी.डी.पी. को गति मिलेगी। उदाहरण के लिए ऐसा करने पर जापान की जी.डी.पी. 9 और भारत की 27 प्रतिशत तेज होगी। 

कानून भी बराबरी में हैं रुकावट 
लेगार्ड और सोल्बर्ग ने कहा कि महिलाओं को पिछड़ा रखने के कुछ कारक हर जगह हैं। करीब 90 प्रतिशत देशों में जैंडर के आधार पर रुकावट डालने वाले एक या अधिक कानून हैं। कुछ देशों में महिलाओं के पास सीमित संपत्ति अधिकार हैं जबकि कुछ देशों में पुरुषों के पास अपनी पत्नी को काम से रोकने का अधिकार है। कानूनी रुकावटों से अलावा काम और परिवार में तालमेल बिठाना, शिक्षा, वित्तीय संसाधन और समाजिक दबाव भी रुकावट हैं। महिलाओं को परिवार का पालन करने के साथ ही वर्कप्लेस पर सक्रिय रखने में मदद करना महत्वपूर्ण है। 

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