Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Sep, 2017 04:13 PM
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक लगातार दूसरे हफ्ते प्रचलन में मौजूद नकदी...
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक लगातार दूसरे हफ्ते प्रचलन में मौजूद नकदी में कमी आई है यानि लोगों ने डिजिटल ट्रांजैक्शन ज्यादा किया है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था में नकदी निचले स्तर पर बनी हुई है जिसके तहत नोटबंदी के बाद अब तक 2.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक नकदी बैंकों में जमा पड़ी है। नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद प्रचलन में मौजूद करीब 17.9 लाख करोड़ रुपए की नकदी जनवरी तक कम होकर केवल 9 लाख करोड़ रुपए रह गई है। तब से लेकर अब तक अर्थव्यवस्था में नकदी का विस्तार बढ़ रहा है क्योंकि रिजर्व बैंक की प्रिंटिंग प्रैसें दिन-रात काम कर रही हैं।
नोटबंदी का उद्देश्य
सरकार की ओर से कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की गई नोटबंदी के दो महत्वपूर्ण टारगेट थे, एक तो सिस्टम से काले धन को समाप्त करना और दूसरा डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना। सरकार को उम्मीद थी नोटबंदी से काले धन पर बड़ी चोट लगेगी। इससे बड़ी मात्रा में पैसे बैंकों में वापिस नहीं आएंगे और बेकार हो जाएंगे। हालांकि 99 फीसदी कैश बैंकों में वापिस आ गया है। सरकार को चाहे काले धन पर बड़ी सफलता हाथ न लगी हो लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने का मकसद पूरा हो गया है।
डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा
सरकार ने मार्च 2018 तक हर महीने 2,500 करोड़ की डिजिटल ट्रांजैक्शन का टारगेट रखा है। डिजीटल पेमेंट में बढ़त के साथ रियल एस्टेट में गिरावट के कारण भी कैश की मांग में कमी आई है। नकद का उपयोग कम होने के कारण बैंक अब अपने ए.टी.एम. नेटवर्क को उचित बना रहे हैं। बता दें कि रिजर्व बैंक ने अगस्त महीने के पेमेंट्स के जो अस्थायी डेटा जारी किए हैं, उनके मुताबिक अगस्त महीने में 88 करोड़ से अधिक डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी संख्या जुलाई में 86 करोड़ और जून में 84.4 करोड़ थी। अगस्त महीने के आंकड़े इस साल मार्च के आंकड़ों के बेहद करीब हैं, जिस महीने में 89.3 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे। नोटबंदी के बाद सबसे अधिक डिजिटल ट्रांजैक्शंस मार्च महीने में ही हुए थे।