राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से चूकी सरकार , 2017-18 में 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 02:14 PM

government missed out on target of fiscal deficit

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में कतिपय परिस्थितियों के कारण राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से थोड़ा बढ़कर 3.5 प्रतिशत रहेगा। बजट 2017-18 में इसको सकल घरेलू उत्पाद के

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में कतिपय परिस्थितियों के कारण राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से थोड़ा बढ़कर 3.5 प्रतिशत रहेगा। बजट 2017-18 में इसको सकल घरेलू उत्पाद के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य था।  वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया गया है। हालांकि, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन कानून (एमआरबीएम) के तहत प्रस्तावित मध्यावधिक योजना के तहत यह लक्ष्य 3 प्रतिशत तक होना चाहिए था।

जेटली ने अपने बजट भाषण में राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजकोषीय अनुशासन पर बहुत बल देते हैं। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा वर्ष 2013-14 में 4.4 प्रतिशत से 2014-15 में 4.1 प्रतिशत, 2015-16 में 3.9 प्रतिशत और 2016-17 में 3.5 प्रतिशत तक लाया गया।   सरकार का घाटा बढऩे से उसे बाजार से ज्यादा कर्ज लेना पड़ता और इसका असर ब्याज दरों तथा वृद्धि पर पड़ता है। 

नोटबंदी और जीएसटी का चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था और सरकारी राजस्व पर असर रहा। इसके अलावा अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का भी राजकोष पर असर दिख रहा है। पूर्व राजस्व सचिव एन के सिंह की अगुवाई वाली एफआरबीएम समीक्षा समिति ने 2023 तक सरकारी रिण को जीडीपी के 60 प्रतिशत तक सीमित रखने की सिफारिश की है।

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