Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Feb, 2018 01:06 PM
पंजाब नेशनल बैंक (पी.एन.बी.) में देश के सबसे बड़े बैंक घोटाला मामले के मद्देनजर सरकार सार्वजनिक बैंकों (पी.एस.बी.) में सांविधिक आडिटरों की नियुक्ति के लिए नियमों को कड़ा बनाने पर विचार कर रही है। एक वरिष्ठ सरकार अधिकारी ने यह जानकारी दी
नई दिल्लीः पंजाब नेशनल बैंक (पी.एन.बी.) में देश के सबसे बड़े बैंक घोटाला मामले के मद्देनजर सरकार सार्वजनिक बैंकों (पी.एस.बी.) में सांविधिक आडिटरों की नियुक्ति के लिए नियमों को कड़ा बनाने पर विचार कर रही है। एक वरिष्ठ सरकार अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस समय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने आडिटरों की नियुक्ति खुद करते हैं और यह घपला सामने आने के बाद सवाल किए जा रहे हैं कि पी.एन.बी. के आडिटर 11,400 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी को सात साल तक कैसे नहीं पकड़ पाए।अधिकारी के अनुसार इस मामले के बाद संभवत: सार्वजनिक बैंकों द्वारा आडिटरों की नियुक्ति में एक ‘जाली’ (मेंबेरेन) की व्यवस्था करने की जरूरत है।
मौजूदा व्यवस्था के तहत सार्वजनिक बैंकों को सालाना आधार पर सांविधिक केंद्रीय आडिटर नियुक्त करने की अनुमति है। हालांकि यह काम रिजर्व बैंक द्वारा तय पात्रता नियमों के अनुसार ही करना होता है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) सार्वजनिक बैंकों के लिए आडिट फर्मों की सूची सालाना आधार पर तैयार करता है जिसकी जांच पड़ताल आरबीआई द्वारा की जाती है। अधिकारी के अनुसार, ‘इस तरह का बड़ा घपला किसी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम में क्यों नहीं हुआ? किसी आडिटर तथा बैंक या कंपनी बोर्ड के काम में एक तय दूरी होनी चाहिए।’