अप्रैल 2017 से लागू होगा GST!

Edited By ,Updated: 30 Sep, 2016 05:49 PM

govt working on rollout of gst from next april jaitley

वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज संसद की एक समिति को बताया कि सरकार नई वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) कर व्यवस्था को पहली अप्रैल, 2017 से लागू करने के लक्ष्य के

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज संसद की एक समिति को बताया कि सरकार नई वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) कर व्यवस्था को पहली अप्रैल, 2017 से लागू करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है और इस संबंध में जी.एस.टी. परिषद की पहली बैठक काफी सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में सम्पन्न हुई थी।  

वित्त मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की चौथी बैठक में अपनी शुरूआती टिप्पणी में जेतली ने कहा कि सरकार अब तक जी.एस.टी. को ‘‘तय समय’’ के अनुसार लागू करने के कार्यक्रम पर चल रही है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार इस बैठक जी.एस.टी. के विषय पर ही था। जेतली ने कहा कि संविधान के अनुसार जी.एस.टी. संविधान संशोधन विधेयक (101वें संशोधन) अधिनियम 2016 के प्रावधानों को लागू किए जाने की तिथि से एक साल तक यानी 16 सितंबर 2017 तक केन्द्र सरकार को विनिर्मित उत्पादों पर उत्पाद शुलक और सेवाओं पर सेवा कर लगाने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार इस संविधान संशोधन अधिनियम के तहत राज्य सरकारों को इस दौरान वस्तुओं की बिक्री पर बिक्री कर या मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाने की छूट होगी।   

वित्त मंत्री ने इससे आगे कहा कि इस महीने (22-23 तारीख को) जी.एस.टी. परिषद की पहली बैठक सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई। परिषद की दूसरी बैठक आज आज है। जी.एस.टी. परिषद केन्द्र और राज्यों का महत्वपूर्ण संयुक्त मंच है। जी.एस.टी. परिषद ही जी.एस.टी. व्यवस्था के तहत कर की दरों, छूट वाली वस्तुओं की सूची और जी.एस.टी. के दायरे से छूट के लिए इकाइयों के कारोबार की अधिकतम सीमा तय करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले करने को को अधिकृत है। 

बैठक के दौरान सलाहकार समिति के सदस्यों ने जी.एस.टी. कानून से संबंधित कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने जी.एस.टी. को बेहतर तरीके से लागू करने के बारे में अनेक सुझाव भी दिए हैं। सदस्यों ने जो प्रमुख सुझाव दिए उसमें जी.एस.टी. व्यवस्था के तहत कर संग्रह, उसके आकलन और अपील करने के स्थानों के बारे में स्पष्टता और पारदर्शिता पर जोर दिया गया।   

विज्ञप्ति के अनुसार सदस्यों ने कहा कि संघीय ढांचे में जी.एस.टी. व्यवस्था में लागू होने वाली जटिल स्थिति का समाधान चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कुछ सदस्यों का यह भी कहना था कि जी.एस.टी. व्यवस्था को लेकर बड़े पैमाने पर जागरकता अभियान चलाने की आवश्यकता है क्योंकि अभी भी कई व्यापारी हैं जिनहें जी.एस.टी. और उसकी प्रक्रिया को लेकर अधिक जानकारी नहीं है। कुछ सदस्यों ने कहा कि देश के सभी हिस्सों में सूचना प्रौद्योगिकी नैटवर्क का होना भी जरूरी है क्योंकि जी.एस.टी. व्यवस्था केवल ऑनलाइन ही काम करेगी। सदस्यों ने उम्मीद जताई कि जी.एस.टी. लागू होने से आम आदमी को राहत मिलेगी। जी.एस.टी. से कुछ जरूरी वस्तुओं को छूट दी जाएगी और अन्य वस्तुओं पर कर की दर सामान्य होगी ताकि आम आदमी के लिए रहन सहन की लागत कम होगी। 

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