कब पूरा होगा सबके लिए मकान का सपना

Edited By ,Updated: 28 May, 2016 01:07 PM

home loan narendra modi

अपना मकान बनाना हमेशा से ही आम इंसान का एक बड़ा सपना रहा है परंतु मौजूदा समय में जमीन, मकान या लैट की कीमत इतनी अधिक है

जालंधरः अपना मकान बनाना हमेशा से ही आम इंसान का एक बड़ा सपना रहा है परंतु मौजूदा समय में जमीन, मकान या लैट की कीमत इतनी अधिक है कि आम लोगों के लिए मकान खरीदना लगभग नामुमकिन हो रहा है। 

ऐसे में कई लोगों के पास और कोई विकल्प नहीं होता कि वे होम लोन लेकर अपने मकान का सपना पूरा करें। होम लोन भी हर किसी को नहीं मिल पाता है। जो लोग कर्ज लेकर लैट खरीद भी लें तो कर्जदार की जिंदगी किस्तों में बंट जाती है। वे खुल कर जीवन नहीं जी पाते हैं और छोटी-छोटी खुशी को पूरा करने के लिए भी उन्हें समझौते करने पड़ते हैं।

सभी को मकान का सपना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक सभी को मकान उपलब्ध कराने का वायदा किया है लेकिन यह लक्ष्य पूरा करना बेहद कठिन दिखाई देता है। हर जगह रियल एस्टेट की कीमत में उफान आया है। ऐसे में सवाल का उठना लाजिमी है क्या वाकई में मकान, लैट या जमीन की कीमत इतनी बढ़ी है या कम कीमत वाले लैट या जमीन की कीमत बढ़ा-चढ़ा कर बताई जा रही है। 

बढ़ रही है न बिके मकानों की संख्या 
दो राय नहीं कि लोगों की आय में इजाफा हुआ है लेकिन आय में इतनी भी बढ़ौतरी नहीं हुई है कि नौकरीपेशा कर्मचारी या मध्यम स्तर का कारोबारी करोड़ों का लैट या जमीन खरीद सके। रियल एस्टेट में दलाली प्रथा के कारण ही विभिन्न शहरों में बिना बिके आवासीय परिसरों और वाणिज्यिक एस्टेट की संख्या में तेजी से बढ़ौतरी हो रही है।

एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिना बिके मकानों, लैटों और दुकानों की संख्या हाल में 18 से 40 प्रतिशत बढ़ी है जिसमें सबसे ज्यादा संख्या दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एन.सी.आर. में है। इस क्रम में मकान एवं दुकानों के दाम तथा ब्याज दर घटने के बावजूद लैट की मांग में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि पिछले साल दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाणिज्यिक क्षेत्र की मांग 35 से 40 प्रतिशत घटी थी। 

मुबई, ठाणे और अन्य उपनगरीय इलाकों में भी बिना बिके मकानों और दुकानों की संख्या बढ़ी है। बैंगलूर और चेन्नई में भी बिना बिके आवासीय परिसरों में तेजी आई है। मुबई में बिना बिके मकानों की संख्या 27.5 प्रतिशत है, बैंगलूर में 25 प्रतिशत, चेन्नई में 22.5, अहमदाबाद में 20, पुणे में 19.5 और हैदराबाद में 18 प्रतिशत है।

आवासीय परिसरों में सबसे ज्यादा बिना बिके मकान दिल्ली-एन.सी.आर. में हैं, दूसरे स्थान पर मुंबई है जहां तकरीबन 1 लाख मकान नहीं बिक रहे हैं। बैंगलूर में 66 हजार, चेन्नई में 60 हजार और पुणे में 55 हजार मकान बिना बिके हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में करीब अढ़ाई लाख मकान बिना बिके हैं। यह संख्या निर्माणाधीन मकानों की कुल संख्या का करीब 35 प्रतिशत है। इन मकानों में नियामकीय मंजूरी और विवाद की वजह से देरी हो रही है। रियल एस्टेट में मंदी का सबसे ज्यादा असर इससे जुड़े वित्तीय सेवा तथा इस्पात क्षेत्र पर पड़ा है। इस क्षेत्र में गतिविधियां कमजोर पडऩे से श्रम बाजार पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। 

ज्यादा मूल्य से परेशानी
निर्माण क्षेत्र में लगभग 1.25 करोड़ कामगार काम करते हैं। बिक्री में गिरावट और नई परियोजनाओं के नहीं शुरू होने से साफ हो जाता है कि आवासीय क्षेत्र में मूल्य को लेकर प्रतिरोध है। गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नई आवासीय परियोजनाएं 30 से 35 प्रतिशत तक लंबित हैं। फिलहाल, बिल्डरों का लक्ष्य पहले से बने मकानों को बेचने और लंबे समय से अटकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने की तरफ है। देखा गया है कि बिल्डर लागत की दोगुनी कीमत वसूलते हैं। जमीन का क्षेत्र तो और भी ज्यादा स्याह है। 

रियल एस्टेट कानून भी फिलहाल बेअसर 
हाल में सरकार ने कानून बनाकर बिल्डरों के पंख कतरने की कोशिश की है लेकिन सरकार की कवायद प्रभावशाली नहीं रही है। आज रियल एस्टेट काली कमाई को सफेद बनाने का मुफीद क्षेत्र बना हुआ है। भले ही बड़े शहरों में बड़े बिल्डर चैक से पेमैंट ले लेते हैं लेकिन छोटे शहरों जैसे पटना, लखनऊ, भोपाल, रायपुर, चंडीगढ़ आदि में अभी भी बिल्डर मकान की कीमत चैक और नकद में वसूलते हैं। जो भी हो, रियल एस्टेट एक ऐसा क्षेत्र है जिससे सभी लोग जुड़े हैं। देश की अर्थव्यवस्था को तेजी देने में इस क्षेत्र का अहम योगदान है। 

वक्त की जरूरत 
इसमें दो मत नहीं कि मकानों की ज्यादा कीमत होने के कारण वे बिक नहीं पा रहे हैं इसलिए जरूरत इस बात की है कि इस क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं एवं विसंगतियों को दूर करने के प्रयास किए जाएं। इस दिशा में कारगर कानून बनाए जाएं और उन्हें अमलीजामा पहनाया जाए ताकि सभी को मकान, रोजगार सृजन में तेजी, विकास दर में इजाफा, अर्थव्यवस्था में मजबूती आदि संभव हो सके।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!