Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 May, 2017 06:19 PM
देश में तेजी से पनपते अवैध कारोबार से निपटने के लिए राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) की ही तरह एक अलग एजैंसी बनाए जाने की जरूरत है।
नई दिल्ली: देश में तेजी से पनपते अवैध कारोबार से निपटने के लिए राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) की ही तरह एक अलग एजैंसी बनाए जाने की जरूरत है। अवैध कारोबार से वैध कारोबार करने वाले उद्योगों को तो नुक्सान हो ही रहा है, इसका अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को भी खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने यह कहा है। उद्योग मंडल फिक्की की तस्करी और जालसाजी गतिविधियों से अर्थव्यवस्था को नुक्सान पर एक समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में केवल 7 विनिर्माण क्षेत्रों में अवैध कारोबार से सरकार को 39,239 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है।
सुष्मिता देव ने कहा कि अवैध कारोबार, तस्करी और नकली सामानों के कारोबार से मिलने वाला ज्यादातर धन आतंकवादी गतिविधियों व अपराध नैटवर्क के वित्तपोषण में जाता है इसलिए जरूरी है कि इस तरह की गतिविधियों को रोका जाए, विशेषकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर इस तरह की गतिविधियां ज्यादा होती हैं। उन्होंने कहा कि अवैध करोबार के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एक एकल डाटाबेस होना चाहिए, इससे कानून प्रवर्तन एजैंसियों के लिए इसे नियंत्रित करना आसान होगा। आतंकवादी गतिविधियों की जांच के लिए 2009 में एन.आई.ए. का गठन किया गया था।