Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Oct, 2017 06:53 PM
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गैर- निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के निपटान के लिये शुरू किए गए मौजूदा दौर पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का साख दृश्य निर्भर करेगा। मूडीज इन्वेस्टर र्सिवस की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि...
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गैर- निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के निपटान के लिये शुरू किए गए मौजूदा दौर पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का साख दृश्य निर्भर करेगा। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे एसबीआई की संपत्तियों में कटौती का उल्लेखनीय प्रभाव देखने को मिलेगा। हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि एसबीआई को अपने बकाया में से 50 से 55 प्रतिशत को छोडऩा पड़ सकता है। इसके साथ ही वह मार्च, 2019 अंत तक 9.5 प्रतिशत के सामान्य इक्विटी टियर-1 अनुपात को कायम रख सकता है।
इस तरह के इक्विटी टियर-1 अनुपात से बैंक को मार्च, 2019 तक 8.6 प्रतिशत की न्यूनतम नियामकीय आवश्यकता को देखते हुए कुछ राहत मिल सकेगी। रिपोर्ट कहती है कि अगले 2 वित्त वर्षों में बैंक की 35 से 40 प्रतिशत गैर- निष्पादित आस्तियों का निपटान विभिन्न निपटान प्रक्रियाओं के तहत हो सकता है। स्टेट बैंक में उसके सहयोगी बैंकों के विलय के बाद उसके एनपीए में हुई वृद्धि, हाल की वित्तीय गड़बडिय़ों के साथ अर्थव्यवस्था का विषम समन्वय, समस्या वाले खातों का समाधान करने की नियामकीय आवश्यकता के परिणामस्वरूप बैंक की रिण लागत पर नकारात्मक दबाव पड़ा है।