नुकसान में रहे बासमती किसानों को चीन दिलाएगा राहत, सालों बाद दी आयात को मंजूरी

Edited By ,Updated: 05 Dec, 2016 05:46 PM

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चावल का दुनिया में सबसे बड़ा इंपोर्टर और कंज्यूमर देश चीन भी अब भारत से बासमती चावल का आयात करेगा। चीन ने भारत की कुल 14 कंपनियों को लिस्टेड किया है।

नई दिल्लीः चावल का दुनिया में सबसे बड़ा इंपोर्टर और कंज्यूमर देश चीन भी अब भारत से बासमती चावल का आयात करेगा। चीन ने भारत की कुल 14 कंपनियों को लिस्टेड किया है। चीन के इस कदम से जानकार बासमती किसानों और ट्रेडर्स को भविष्य में लाभ की संभावना जता रहे हैं। बता दें कि एक साल पहले बासमती किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। पड़ोसी देश के इस निर्णय से भारत का चावल निर्यावत भी बढ़ने की उम्मीद है।

19 कंपनियों ने किया था आवेदन
चीन ने काफी सालों पहले भारत से चावल आयात बंद कर दिया था। चीन भारतीय चावलों में खपरा बीटल की शिकायत कर चुका है। कुछ सालों से चीन हांगकांग आदि देशों के रास्ते ही भारतीय चावल का आयात रहा था। इस बीच चीन ने अब नेशनल प्लांट प्रोटेक्शन आर्गेनाईजेश(एन.पी.पी.ओ.) से मान्यता प्राप्त मिलों से ही चावल आयात की अनुमति दी है। हालांकि, अब भी चीन नियम सबसे अधिक कड़े हैं। इस प्रतिस्पर्द्धा के लिए भारत की 19 कंपनियों ने आवेदन किया था। इनमें से चीन ने केआरबीएल, कोहीनूर, एलटी फूड्स आदि 14 कंपनियों के जरिए ही चावल आयात की मंजूरी दी है।

बासमती निर्यात में बढ़ौतरी की उम्मीद
भारत से सउदी अरब, कुवैत, इरान, इराक और युनाईटेड अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों को बड़ी मात्रा में बासमती निर्यात किया जाता है। सालभर में लगभग 40 लाख टन से ज्यादा बासमती निर्यात होता है। साल 2015-16 में भी भारत ने इन देशों को 40.45 लाख टन बासमती का निर्यात किया था। इसमें हालांकि, चीन भी हांगकांग के रास्ते लगभग 2000 टन बासमती का आयात करता है लेकिन अब चीन का आयात बढ़ने की उम्मीद है। ऑल इंडिया राईएस एक्सपोर्टर्स के अध्यक्ष ओपी जिंदल का कहना है कि अगर चीन इन कंपनियों से ही अच्छी मात्रा में चावल निर्यात करता है तो निर्यात में बढोतरी हो सकती है। चीन भारत से गैर बासमती चावल के आयात को भी मंजूरी दे सकता है। 

कीमतों में आई थी भारी गिरावट
एपीडा के ज्वाइंट डायरेक्टर सुधांशु शक्तिधर के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015-16 में बासमती के ग्लोबल प्राइस में बेतहाशा कमी आई थी। इरान और अन्य खाड़ी देशों में एवरेज ग्लोबल प्राइस इससे पहले साल 1290 डॉलर की तुलना में घटकर सिर्फ 850 डॉलर प्रति टन ही मिल पाए। इन देशों में बासमती के प्राइस क्रूड के आधार पर तय होते हैं। इस साल क्रूड के भाव में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है। लिहाजा जो चीन को चावल निर्यात किया जाएगा उससे कीमतों में स्थिरता जरूर देखने को मिल सकती है। इससे घरेलू किसानों की आर्थिकी में सुधार होगा।

इस साल कम है बासमती की पैदावार
पिछले साल पंजाब और हरियाणा में बोई गई बासमती प्रजाति पूसा 1121 में दाना टूटने की शिकायत थी। इसके चलते इसके दाम बेतहाशा गिर गए और लिहाजा किसानों को भारी नुकसान हुआ। किसी-किसी क्षेत्र में तो किसानों का लागत मूल्य भी नहीं निकल पाया। ऐसे में किसानों ने इस प्रजाति के अलावा बासमती से ही दूरी बनानी शुरू कर दी। अकेले पंजाब में 8 लाख हेक्टेयर की तुलना में सिर्फ 4.6 लाख हेक्टेयर में ही बासमती धान हुआ। ऐसे में पैदावार भी इसी अनुरूप में घट गई। इसके बाद अब नोटबंदी भी किसानों के साथ खेल खेलने में लगी हुई है।

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