सेबी के नए नियमों से प्रभावित हो रहा कारोबार, फंड मैनेजर कर रहे विरोध

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Oct, 2017 05:02 PM

treasures affected by sebi regulations  fund managers protest

म्युचुअल फंड योजनाओं को वर्गीकृत करने और उसे तर्कसंगत बनाने के भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए नियमों का फंड मैनेजर विरोध कर रहे हैं। म्युचुअल फंड उद्योग करीब 21 लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहा है। इस महीने के शुरू...

नई दिल्लीः म्युचुअल फंड योजनाओं को वर्गीकृत करने और उसे तर्कसंगत बनाने के भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए नियमों का फंड मैनेजर विरोध कर रहे हैं। म्युचुअल फंड उद्योग करीब 21 लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहा है। इस महीने के शुरू में बाजार नियामक ने विभिन्न योजनाओं के वर्गीकरण के लिए फंड कंपनियों को पेशकश की है। ये दो श्रेणियां इक्विटी और डेट की होंगी।

बड़े फंडों पर पड़ रहा असर
सेबी ने इक्विटी में 10 श्रेणियां रखी हैं। इनमें लॉर्ज कैप, मिडकैप, स्मॉलकैप आदि योजनाएं रखी हैं। उसने कहा है कि फंड कंपनियां एक श्रेणी में एक ही योजना पेश कर सकेंगी। सेबी के इस कदम से भी फंड प्रभावित हुए हैं लेकिन ज्यादा असर बड़े फंडों पर पड़ा है। उनको अपनी योजनाओं की संख्या काफी घटानी पड़ेंगी। लेकिन फंड प्रबंधक जिस बात से परेशान हैं, वह है लार्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों की सेबी की परिभाषा। नियामक ने कहा है कि बाजार पूंजीकरण के पैमाने पर 100 सबसे प्रमुख कंपनियां लॉर्ज कैप मानी जाएंगी, वहीं पूंजी के क्रम में 101 से 250 तक वाली कंपनियां मिड कैप में मानी जाएंगी और पायदान में इससे नीचे की सभी कंपनियां स्मॉलकैप श्रेणी में होंगी।

फंडों की संस्था एम्फी को हर जून और दिसंबर के आखिर में एनएसई और बीएसई पर कंपनियों के बाजार पूंजीकरण के आधार पर शेयरों की रैंकिंग जारी पड़ेगी। फंड प्रबंधकों को इस सूची के जारी होने के 30 दिन के भीतर अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए पंजाब नैशनल बैंक इस समय लार्ज कैप शेयर है, जो पायदान में 97वें नंबर पर है। लेकिन अगर यह शेयर गिरा और पायदान में 100 से नीचे आया तो फंड प्रबंधकों को अपनी लार्ज कैप योजनाओं से इस शेयर को बाहर करना पड़ेगा।
 

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