धूम्रपान न करने वालों में भी बढ़ रहा फेफड़े का कैंसर, इस वजह से है सबसे जानलेवा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 08:40 PM

lung cancer also increases in non smokers

लगभग सभी को कभी ना कभी खांसी और कफ की शिकायत हो सकती है लेकिन अगर ये लंबे समय तक बनी रहे तो ये खतरनाक हो सकता है। जी हां, फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर बन गया है।

चंडीगढ़: लगभग सभी को कभी ना कभी खांसी और कफ की शिकायत हो सकती है लेकिन अगर ये लंबे समय तक बनी रहे तो ये खतरनाक हो सकता है। जी हां, फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर बन गया है। कैंसर से संबंधित ज्यादातर मौतें इसी कारण होती हैं। भारत में फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों की जानकारी देते हुए मोहाली स्थित ऑन्कोलॉजी- इंडस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. विनोद निम्ब्रान ने बताया कि पिछले कुछ सालों में फेफड़े के कैंसर के मामलों में इजाफा हुआ है।

 जहां पुरुषों में 7-8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, वहीं महिलाओं में 3-4 से प्रतिशत की बढ़ौतरी आई है। डॉ. विनोद ने बताया कि भारत में तम्बाकू का सेवन बहुत ही आम बात होती है, जोकि फेफड़ों के कैंसर के लिये सबसे बड़ा कारण होता है। लेकिन जरूरी नहीं कि फेफड़ों का कैंसर सिर्फ धूम्रपान करने वाले लोगों को ही होता है। भारत में धूम्रपान न करने वालों में भी तेजी से फेफड़े का कैंसर बढ़ रहा है। इसका बड़ा कारण है, कैंसरकारी तत्व जैसे एस्बेस्टस, रेडॉन, वायु प्रदूषण और डीजल के धुंए के संपर्क में आना।

हालांकि, इन कैंसरकारी कारणों से सुरक्षित रहकर फेफड़ों के कैंसर से बचा जा सकता है। साल 2012 के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर के 18 लाख मामले सामने आये है, जिनमें 58 प्रतिशत कम विकसित होने वाले क्षेत्रों में पाये गये। विकासशील देशों में, फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में आम होता है और महिलाओं में यह तीसरा सबसे बड़ा रोग है। समय पूर्व फेफड़ों के कैंसर का पता लगने के महत्व के बारे में जोर देते हुए डॉ. विनोद निम्ब्रान ने कहा कि फेफड़ों के कैंसर का प्रभावी रूप से इलाज कर पाना संभव नहीं हो पाता, क्योंकि ज्यादातार मरीजों में इसका पता अंतिम चरण में चलता है।

 चंडीगढ़ में 10 में से 6 मामलों का पता अंतिम चरण में चलता है। इस अंतिम चरण में केवल रोगी के जीवित रहने के दिनों को बढ़ाया जा सकता, लेकिन इलाज करना संभव नहीं होता है। फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने वाली जांचों में शामिल है सीटी स्कैन, टिशू बायोप्सी और स्प्यूटम साइटोलॉजी। यदि इन जांचों में फेफड़ों के कैंसर के कोई भी संकेत और लक्षण नजर आते हैं तो जल्द से जल्द किसी ऑन्कोलॉजिस्ट को दिखाने की सलाह दी जाती है।

फेफड़े के कैंसर के लक्षण - खांसी: लगातार खांसी का रहना, लंबे समय चलने वाली खांसी में समय के साथ कुछ परिवर्तन का आना। - खांसी में खून आना: खांसी के साथ खुन या भूरे रंग का थूक आने पर चिकित्सक से परामर्श लें। - सांस लेने पर कठिनाई: सांस लेने में तकलिफ होना, घबराहट महसूस हो या श्वास लेते समय एक अलग आवाज का आना। - भूख ना लगना: कई कैंसर भूख में बदलाव लाता है, जिससे वजह घटने लगता है। - बार-बार संक्रमण का होना: बार-बार संक्रमण का होना जैसे श्वास नली में सूजन या निमोनिया, फेफड़े के कैंसर के लक्षणों में से एक हो सकता है। - सिरदर्द, चक्कर आना या अंग का कमजोर या सुन्न हो जाना।

 

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