रात में सिर्फ 2 लोगों के सहारे नेहरू अस्पताल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 09:40 AM

nehru hospital with just 2 people in the night

50 वर्ष से ज्यादा पुराने नेहरू अस्पताल की बिल्डिंग को रिपेयर करने की प्लानिंग कई वर्षों से जारी है पर मरीजों की बड़ी संख्या व रिपेयर के दौरान उन्हें शिफ्ट करने की जगह न होना इस प्लानिंग में सबसे बड़ा रोड़ा बनी है।

चंडीगढ़ (पाल): 50 वर्ष से ज्यादा पुराने नेहरू अस्पताल की बिल्डिंग को रिपेयर करने की प्लानिंग कई वर्षों से जारी है पर मरीजों की बड़ी संख्या व रिपेयर के दौरान उन्हें शिफ्ट करने की जगह न होना इस प्लानिंग में सबसे बड़ा रोड़ा बनी है। बिल्डिंग पुरानी होने से मैंटेनैंस की जरूरत नेहरू अस्पताल को दूसरे सैंटर्स के मुकाबले ज्यादा रहती है। इंजीनियरिंग विभाग के स्टाफ की मानें तो नेहरू अस्पताल पिछले कई वर्षों से इलैक्ट्रीशियन के सहारे ही चल रहा है। 


अस्पताल में रोजाना 20 से 25 शिकायतें रजिस्टर की जाती है। सूत्रों के मुताबिक इतनी बड़ी संख्या में शिकायत होने के बावजूद दोपहर व रात में सिर्फ 2 लोगों का स्टाफ ही अस्पताल संभाल रहा है। वर्ष 1992 में पी.जी.आई. को 94 पोस्ट सैंक्शन की गई थीं जबकि 1992 के बाद पी.जी.आई. में सभी एडवांस सैंटर्स का निर्माण किया गया है जिसमें एडवांस पैडएट्रिक सैंटर, एडवांस आई सैंटर, एडवांस कॉर्डियक सैंटर, शामिल है। विभाग की की मानें तो वह पिछले कई वर्षों से स्टाफ की मांग कर रहे हैं लेकिन प्रशासन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। 

 

अगले 6 महीनों तक पी.जी.आई. इंजीनियरिंग विभाग से 10 लोग और रिटायर्ड होने वाले हैं, फिलहाल अभी अस्पताल के पास 80 लोगों का स्टाफ मौजूद जिसमें से भी कुछ लोगों को ऑफिस में शिफ्ट कर रखा है व कुछ को बॉयोमैडीकल इंस्ट्रूमैंट्स विभाग में लगा रखा है। सूत्रों की मानें तो इस वक्त अस्पताल के पास कुल 40 लोगों का स्टाफ है जो पूरे पी.जी.आई. को देख रहा है। अस्पताल एक तरफ जहां स्टाफ की कमी झेल रहा है, वहीं अस्पताल में पिछले 2 वर्ष 14 पोस्ट खाली पड़ी है।  


 

150 से 200 स्टाफ की जरूरत
नेहरु अस्पताल की साथ इलैक्ट्रीशियन विभाग के कर्मचारियों को सभी एडवांस सैंटर्स, कैंपस, न्यू ओ.पी.डी., प्लांट्स, नाइन व पी.जी.आई. कर्मचारियों के मकानों की भी मैंटेनैंस देखनी होती है। साथ ही स्टाफ को हफ्ते में एक बार नारायणगढ़ सैंटर्स में भेजा जाता है। नियमों की मानें तो 5 प्लांट्स के पीछे 1 इलैक्ट्रीशियन होना चाहिए, इसके मुकाबले में पी.जी.आई. के पास आधा स्टाफ भी मौजूद नहीं है। सूत्रों की मानें तो पी.जी.आई. को कम से कम 150 से 200 स्टाफ की जरूरत है, ताकि सभी सैंटर्स के काम को आसानी से किया जा सके। 


 

2014 में हुई थी 26 पदों पर भर्ती
विभाग की मानें तो वर्ष 2014 में पी.जी.आई. नेहरू अस्पताल में 26 पोस्ट पर भर्ती की थी जिसमें से सिर्फ 10 या 12 कर्मी ही उन्हें दिए गए हैं जबकि बाकी सभी को ओ.पी.डी., आई सैंटर्स, कॉॢडयक में शिफ्ट कर दिया गया है। नेहरू अस्पताल में तीन शिफ्टों में कर्मी काम करते है जिसमें सुबह के वक्त 10 लोगों का स्टाफ, दोपहर को 2 व रात में भी 2 लोगों का स्टाफ  काम देख रहा है। स्टाफ की कमी होने की वजह से कर्मियों पर काम का बोझ ज्यादा रहता है, वहीं अगर रात के वक्त नेहरू में एक साथ कई जगहों पर कोई बड़ा फॉल्ट आ जाए तो अस्पताल के पास उससे निपटने के लिए कोई कर्मी मौजूद नहीं है।

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