Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 11:38 AM
ज्योतिषशास्त्र में मानव जीवन की धुरी हर वस्तु पर किसी न किसी ग्रह को संबोधित करती है। यहां तक की जूतों पर भी किसी न किसी ग्रह का अधिपत्य बताया गया है।कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली का आठवां भाव पैरों के तलवों को संबोधित करता है।...
ज्योतिषशास्त्र में मानव जीवन की धुरी हर वस्तु पर किसी न किसी ग्रह को संबोधित करती है। यहां तक की जूतों पर भी किसी न किसी ग्रह का अधिपत्य बताया गया है।कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली का आठवां भाव पैरों के तलवों को संबोधित करता है। पैरों के जूते भी आठवें भाव को संबोधित करते हैं। आठवें भाव से भोग विलासिता और जीवन में व्यक्ति कितनी उन्नती करता है यह पता चलता है। कुछ ऐसे जुते जो दुर्भाग्य का सूचक होते हैं जिनको पहनने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक और कार्यक्षेत्र से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे जूतों के दोष के कारण यह जूते अशुभ हो जाते हैं।
जूते व्यक्ति की पहचान भी होते हैं और उसकी शान भी होते हैं। जूतों पर मूलत: शनि अपना अधिपत्य रखते हैं। कुण्डली में आठवें और बारहवें भाव पर पैरों में पहनने वाले जूतों का अधिपत्य होता है। कुछ ऐसे जूते होते हैं जिन पर शनि अत्यधिक भारी होकर जीवन में हानि उत्पन्न करते हैं। पैर में पहना जूता बदल सकता है भाग्य, बस रखें इस छोटी सी बात का ध्यान
कभी भी तोहफे में मिले हुए अथवा चुराए हुए जूते नहीं पहनने चाहिए। इसे शनि बाधाएं पैदा कर सकते हैं।
उधड़े और फटे जूते पहनकर नौकरी ढ़ूढ़ने न जाएं, असफलता मिलेगी।
आफिस या कार्यक्षेत्र में भूरे जूते पहनकर जाने से व्यक्ति के कामों में बाधाएं उत्पन्न हो जाती हैं।
चिकित्सा और लोहे से संबंधित जातको को कभी भी सफेद जूते नहीं पहनने चाहिए।
कॉफी रंग के जूते बैंक कर्मियों और अध्ययन क्षेत्र से जुड़े लोगो को नहीं पहनने चाहिए।
जल से संबंधित और आयुर्वैदिक कामों से जुड़े लोगो को नीले रंग के जूते नहीं पहनने चाहिए।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com