Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Dec, 2017 08:00 AM
जीवन में कदम-कदम पर ऐसी बातें होती हैं, जो व्यक्ति के भीतर चिढ़ या गुस्सा पैदा करती हैं लेकिन अपने गुस्से पर नियंत्रण करना सीखना बहुत जरूरी है। अगर हम अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं तो हमारा ही नुक्सान होता है।
गुस्सा हमारी मानसिक शांति के लिए सबसे बड़ी बाधा है। दफ्तर में हम अक्सर अपने बॉस, सहकर्मियों और आगंतुकों पर गुस्सा जाहिर करते रहते हैं। कई बार तो घर में मौजूद वजहें भी व्यक्ति को गुस्सा दिलाती हैं। जैसे कि परिवार में किसी ने बिल नहीं भरा और अब परेशानी आपको भुगतनी है। किसी ने आपकी मनपसंद चीज तोड़ या बिगाड़ दी है अथवा बच्चों के साथ तर्क-वितर्क के कारण सरदर्द होने लगता है।
दरअसल जीवन में लगातार ऐसी स्थितियां आती रहती हैं जब व्यक्ति चिढ़ या गुस्सा व्यक्त करता है। गुस्से से निपटने का एक ही तरीका है कि जो भी हो रहा है उस स्थिति में शांत रहा जाए। जब भी घर, दफ्तर या रास्ते में समस्या सामने आती है हमें गुस्से में प्रतिक्रिया नहीं देनी है। हमें यह देखना है कि उस समस्या को हल करने के लिए हम क्या कर सकते हैं। हम अगर पहल करना चाहते हैं तो उन चीजों को हटा सकते हैं या दूर कर सकते हैं जिनके कारण गुस्सा पैदा हो रहा है।
जब हम गुस्से में चीजों का हल तलाशने की कोशिश करते हैं और चीजें ठीक नहीं होती हैं तो हमारा गुस्सा बढ़ जाता है। यह गुस्सा हमारे विवेक को खो देता है। एक समय ऐसा भी आता है कि व्यक्ति अपने ऊपर से नियंत्रण ही खो देता है और कुछ ऐसा कह या कर बैठता है जिससे दूसरों और खुद को भी नुक्सान होता है। गुस्सा हमारे ब्लड प्रैशर को बढ़ाता है। हमें दूसरों के साथ भिड़ाता है और हमारे शरीर में हारमोन के संतुलन को गड़बड़ा देता है। लेकिन इस स्थिति में भी अगर हम शांत और संयत बने रहें तो हम समस्या का समाधान आसानी से कर सकते हैं। जब हम अपने गुस्से को नियंत्रण में ले आते हैं तो हमें ठीक रास्ता दिखाई देता है। हम ज्यादा प्रभावी समाधान तलाश कर पाते हैं। हम ज्यादा ऊर्जा के साथ समस्या का हल कर सकते हैं।