Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Mar, 2018 02:28 PM
जिस इंसान में सकारात्मक सोच नहीं होती उसकी जिंदगी अधूरी है और जिस के पास सकारात्मक सोच की शक्ति होती है वह घोर अंधकार को भी आशा के किरणों में बदलने में सक्ष्म होता है। दरअसल ये व्यक्त के ऊपर तय करता है कि उसे अपनी सोच को सकारात्मक रखना है या...
जिस इंसान में सकारात्मक सोच नहीं होती उसकी जिंदगी अधूरी है और जिस के पास सकारात्मक सोच की शक्ति होती है वह घोर अंधकार को भी आशा के किरणों में बदलने में सक्ष्म होता है। दरअसल ये व्यक्त के ऊपर तय करता है कि उसे अपनी सोच को सकारात्मक रखना है या नकारात्मक।
इंसान के पास दो तरह के बीज होते हैं सकारात्मक विचार एंव नकारात्मक विचार है, जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एंव व्यवहार रुपी पेड़ का निर्धारण करता है। हम जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि जैसे हमारे विचार होते है वैसा ही हमारा आचरण होता है।
यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने दिमाग रुपी जमीन में कौन सा बीज बौते हैं। थोड़ी सी चेतना एंव सावधानी से हम कांटेदार पेड़ को महकते फूलों के पेड़ में बदल सकते है।
नकारात्मक से सकारात्मक की ओर:-
सकारात्मकताकी शुरुआत आशा और विश्वास से होती है। मान लीजिए किसी जगह पर चारों ओर अंधेरा है और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा और वहां पर अगर हम एक छोटा सा दीपक जला देंगे तो उस दीपक में इतनी शक्ति है कि वह छोटा सा दीपक चारों ओर फैले अंधेरे को एक पल में दूर कर देगा। इसी तरह आशा की एक किरण सारे नकारात्मक विचारों को एक पल में मिटा सकती है।
नकारात्मकता को नकारात्मकता से समाप्त नहीं किया जा सकता, नकारात्मकता को तो केवल सकारात्मकता ही समाप्त कर सकती है| इसीलिए जब भी कोई छोटा सा नकारात्मक विचार मन में आए तो उसे उसी पल सकारात्मक विचार में बदल देना चाहिए।
“सकारात्मक सोचना या न सोचना हमारे मन के नियंत्रण में है और हमारा मन हमारे नियन्त्रण में है। अगर हम अपने मन से नियंत्रण हटा लेंगे तो मन अपनी मर्जी करेगा और हमें पता भी नहीं चलेगा की कब हमारे मन में नकारात्मक पेड़ उग गए है।”