राम नाम की तीर्थ स्थली: 9 जुलाई को मनाया जाएगा साक्षात्कार दिवस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jul, 2017 11:46 AM

ram naam ki tirth sthali will be celebrated on 9th july

देव भूमि हिमाचल प्रदेश में अनेक ऋषियों, मुनियों और संतों ने तपस्या करके दिव्य ज्योति के दर्शन किए। इन्हीं में से एक स्थान हिमालय की सुरम्य एवं शांत

देव भूमि हिमाचल प्रदेश में अनेक ऋषियों, मुनियों और संतों ने तपस्या करके दिव्य ज्योति के दर्शन किए। इन्हीं में से एक स्थान हिमालय की सुरम्य एवं शांत पहाडिय़ों के बीच डल्हौजी से लगभग 5 किलोमीटर ऊपर नारवुड में स्थित ‘परम धाम’ नाम से प्रसिद्ध है। यहां चारों ओर राम नाम की गूंज सुनाई देती है। श्री रामशरणम् संस्था के संस्थापक श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने परमेश्वर से प्रसाद प्राप्त करने की इच्छा से जीवन भर विभिन्न धर्मों में रह कर संतों के संग अध्ययन करते हुए घोर तप किया और इसी स्थान पर आकर निश्चय किया कि जब तक परमेश्वर से कुछ प्राप्त नहीं हो जाता यहीं रहूंगा। सत्यानंद जी कठिन व घोर तप करते हुए एकांत साधना में निमग्न हो गए। 


सन् 1925 ब्यास पूर्णिमा के दिन महाराज के कथन अनुसार जब मैं प्रार्थना में निमग्न था, तब मुझे ‘राम’ शब्द बहुत ही सुंदर और आकर्षक स्वर में सुनाई दिया। साथ ही आदेशात्मक शब्द आया ‘राम भज राम भज’ फिर दर्शन की मांग करने पर ‘राम’ रूप तेजोमयी दर्शन हुआ। महाराज के रोम-रोम में राम-राम की ध्वनि गूंज उठी।


सन् 1978 में स्वर्गीय जितेंद्र नाथ सूद एवं कमला सूद के प्रयासों से इस भव्य स्थान की खोज की गई और भक्त हंसराज जी महाराज (पिता जी) द्वारा श्रद्धालुओं की मानस पीड़ा को सुकून देने तथा परमेश्वर के साथ तार मिलाने हेतु यहां श्री रामशरणम् का निर्माण किया गया।

 
अब यह स्थान राम नाम की तीर्थ स्थली के नाम से जाना जाता है। यहां वर्ष में तीन बार विभिन्न ग्रुपों में 3 दिवसीय साधना सत्संग लगाए जाते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों से लगभग 175 भाग्यशाली साधक यहां आकर इस तपोभूमि पर राम नाम का सिमरन करके सच्चे सुख का अनुभव प्राप्त करते हैं। इसमें शामिल होने वाले साधकों के लिए अन्न, जन व धन चर्चा वर्जित हैं। भक्त हंसराज जी द्वारा लगाई गई इस फुलवारी को अब श्रीकृष्ण जी महाराज एवं रेखा जी सींच रहे हैं। 
 

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