सोमवती अमावस्या आज: जेब हल्की किए बिना, मिलेगा सहस्र गोदान का फल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Aug, 2017 06:59 AM

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सोमवती अमावस्या को सनातन धर्म में सर्वोपरीय कहा गया है। इसे पोला, पिथौरी यां पीपल यां अश्वत्थ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रनुसार साल के किसी भी मास में सोमवार पर पड़ने वाली अमावस्या को

सोमवती अमावस्या को सनातन धर्म में सर्वोपरीय कहा गया है। इसे पोला, पिथौरी यां पीपल यां अश्वत्थ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रनुसार साल के किसी भी मास में सोमवार पर पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार का दिन परमेश्वर शिव को समर्पित है व अमावस्या पितृओं को समर्पित मानी जाती है। पीपल ही एक मात्र ऐसा पेड़ है जिसे देववृक्ष की संज्ञा प्राप्त है। पीपल में ही स्वयं परमेश्वर शिव, जगतपिता ब्रह्मा व जगत पालनहार विष्णु संग तैतीस कोटी देव निवास करते हैं। साथ-साथ इसी देववृक्ष पीपल से ही पितृओं की मृत आत्मा को शांति मिलती है। मान्यतानुसार इस पेड़ पर स्वयं शनि और यम के साथ-साथ हनुमान जी भी विराजते हैं। ऋग्वेद में अश्वत्थ को पीपल कहा गया है। 


उपनिषदों में पीपल को भगवान विष्णु का स्वरूप माना है। श्रीकृष्ण ने भागवतगीता के 10 वें अध्याय में स्वयं को वनस्पति जगत में अश्वत्थ माना है। पद्मपुराण के अनुसार देवी पार्वती के श्राप से ग्रसित होकर अग्निदेव पृथ्वी पर अश्वत्थ रूप में प्रकट हुए थे। शास्त्रनुसार सोमवती अमावस्या पर मौन व्रत करने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत कहा गया है अर्थात इस दिन शास्त्रों के अनुसार पीपल की 108 परिक्रमा करने का विधान है। इस दिन यम, शनि, लक्ष्मी, विष्णु के साथ-साथ हनुमान व शिव के पूजन का विधान है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है की सोमवती अमावस्या के दिन विशिष्ट अश्वत्थ व्रत पूजन व उपायों से पितृदोष, ग्रहदोष व शनि पीड़ा समाप्त होती है तथा परिवार में सुख-शांति आती है। 


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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